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RAHUL GANDHI SPEECH : राहुल ने संसद में क्या क्या बोला … मोदी सरकार पर तंज से लेकर भारत जोड़ों यात्रा का मकसद तक ..

RAHUL GANDHI SPEECH: What did Rahul say in the Parliament … From the attack on the Modi government to the purpose of the Bharat Jodo Yatra ..

दर्द सुनन के लिए अहंकार को किनारा करना पड़ेगा

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बुधवार को पहली बार संसद के मानसून सत्र में भाषण देने पहुंचे. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल ने अपने भाषण की शुरुआत सूफी संत जलालुद्दीन रूमी के संदेश से की. उन्होंने कारोबारी गौतम अडानी को लेकर सरकार पर तंज कसा और भारत जोड़ो यात्रा का मकसद बताया.

राहुल ने कहा, अध्यक्ष महोदय, मुझे लोकसभा में बहाल करने के लिए आपका धन्यवाद. जब मैंने आखिरी बार (संसद में) बात की थी तो शायद मैंने आपको ठेस पहुंचाई थी. मैं आपसे (स्पीकर) माफी मांगना चाहता हूं. मैंने पिछली बार अडानी के मुद्दे पर जोर से बोला था. उससे सीनियर नेता को कष्ट हुआ. लेकिन आपको अब डरने की जरूरत नहीं है. कोई घबराने की जरूरत नहीं है. आज मेरा भाषण अडानी पर नहीं बोलने जा रहा है. आप रिलेक्स कर सकते हैं. शांत रह सकते हैं.

‘जो शब्द दिल से आते हैं, वो दिल में जाते हैं’ –

राहुल ने कहा, आज का भाषण दूसरे डायरेक्शन में जा रहा है. रूमी (सूफी संत) ने कहा था, जो शब्द दिल से आते हैं, वो दिल में जाते हैं. आज दिमाग से नहीं, दिल से बोलना चाह रहा हूं. आज आप (एनडीए सरकार) पर इतना आक्रमण नहीं करूंगा. लेकिन, एक-दो गोले जरूर मारूंगा. लेकिन उतना नहीं मारूंगा. इसलिए आप रिलेक्स करिए.

‘शायद मुझे ही मालूम नहीं था… यात्रा क्यों कर रहा हूं?’-

राहुल ने आगे कहा, 130 दिन के लिए भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक गया. समुंदर के तट से कश्मीर की बर्फीली पहाड़ी तक चला. बहुत लोग ने मुझसे पूछा- यात्रा के दौरान तुम क्यों चल रहे हो. कन्याकुमारी से कश्मीर तक क्यों जा रहे हो. शुरुआत में मेरे मुंह से जवाब नहीं निकलता था. शायद मुझे ही नहीं मालूम था कि मैं क्यों यात्रा कर रहा हूं. मैं लोगों को जानना चाहता था, उन्हें समझना चाहता था. थोड़ी देर में मुझे बात समझ आने लगी. जिस चीज के लिए मैं मरने को तैयार, जिस चीज के लिए मोदी की जेलों में जाने के लिए तैयार. जिस चीज को मैंने हर रोज गाली खाई. उस चीज को समझना चाहता था. ये है क्या? जिसने मेरे दिल को इतनी मजबूती से पकड़ रखा था, उसे समझना चाहता था.

‘मेरा अहंकार निकल गया’ –

राहुल ने कहा, हर रोज मैं 8-10 किलोमीटर चलता था. तो सोचता था कि मैं 20-25 किलोमीटर चल सकता हूं. मुझे अहंकार था. लेकिन भारत अहंकार को सेकेंड में मिटा देता है. दो तीन दिन में ही मेरे घुटनों में इतना दर्द हुआ कि मेरा अहंकार निकल गया. मेरा अहंकार भेड़िया से चीटी बन गया.

‘किसान के दर्द को महसूस किया’ –

राहुल गांधी ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक किसान ने रुई का बंडल दिया. उसने कहा, मेरे पास राहुल जी यही बचा है. बाकी कुछ नहीं बचा. मैंने किसान ने पूछा कि उसे बीमा का पैसा मिला. उसने कहा, नहीं. भारत के बड़े उद्योगपतियों ने उसे छीन लिया. मैंने अजीब सी चीज देखी. उसके दिल में जो दर्द था, वो दर्द मैंने महसूस किया. उसका दर्द मेरा दर्द बन गया.

‘दर्द सुनन के लिए अहंकार को किनारा करना पड़ेगा’ –

राहुल ने कहा, लोग कहते हैं कि ये देश है, कोई कहता है कि ये अलग अलग भाषाएं हैं. कोई कहता है कि धर्म है. ये सोना है. ये चांदी है. मगर सच्चाई है कि देश एक आवाज है. यह देश सिर्फ एक आवाज है. दर्द है, दुख है. कठिनाई है. अगर इस आवाज को सुनना है, तो जो हमारा अहंकार है, हमारे सपने उसे किनारे करना पड़ेगा. तभी वो आवाज सुनाई देगी.

 

 

 

 

 

 

 

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