राहुल गांधी ने जी राम जी कानून के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा -मनरेगा की वापसी की लड़ाई लड़ेंगे…

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नई दिल्ली। मनरेगा का नाम तथा स्वरूप बदलने के लिए संसद के दोनों सदनों से वीबी जी राम जी विधेयक पारित होने के बाद विपक्ष ने अब सड़कों पर इसके खिलाफ बड़ी लड़ाई छेड़ने का एलान कर दिया है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जी राम जी के स्वरूप को ही राज्यों तथा गांवों के खिलाफ बताते हुए देशव्यापी मोर्चा बनाकर इस कानून को वापस लेने की लड़ाई लड़ने की घोषणा की है। विपक्षी खेमे की एक अन्य प्रमुख दल तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने भी इसका जोरदार विरोध करने का स्पष्ट संदेश देते हुए संसद परिसर में गुरूवार आधी रात से लेकर शुक्रवार दोपहर तक 12 घंटे का धरना दिया।

राहुल गांधी ने मनरेगा के स्वरूप को बताया राज्य विरोधी

जर्मनी यात्रा पर गए राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक्स पर जारी बयान में कहा कि कल रात मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के 20 साल खत्म कर दिए। वीबी जी राम जी मनरेगा का ‘सुधार’ नहीं है। यह अधिकार तथा मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर देता है और इसे एक राशन वाली योजना में बदल देता है जिसे दिल्ली से कंट्रोल किया जाता है। यह डिजाइन से ही राज्य-विरोधी और गांव-विरोधी है। मनरेगा ने ग्रामीण मजदूर को मोलभाव करने की ताकत दी। असली विकल्पों के साथ, शोषण और मजबूरी में पलायन कम हुआ। मजदूरी बढ़ी, काम करने की स्थिति में सुधार हुआ। साथ ही ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और पुनर्जीवन हुआ।कांग्रेस नेता ने कहा कि यह वही ताकत है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है।

विपक्ष करेगा मनरेगा कानून के खिलाफ देशव्यापी मोर्चा

काम को सीमित करके और इसे मना करने के अन्य तरीके बनाकर। जी राम जी उस एकमात्र साधन को कमजोर करता है जो ग्रामीण गरीबों के पास था। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा रेखा को नष्ट नहीं करने देंगे। इस कदम को परास्त करने के लिए मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े होंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी मोर्चा बनाएंगे कि इस कानून को वापस लिया जाए।राहुल गांधी ने कहा कि हमने कोविड के दौरान मनरेगा का मतलब देखा, जब अर्थव्यवस्था बंद और आजीविका खत्म हो गई तो इसने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया। महिलाओं की सबसे ज्यादा मदद की। कहा कि जब आप किसी रोजगार कार्यक्रम में राश¨नग करते हैं, तो महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय सबसे पहले बाहर हो जाते हैं।

टीएमसी सांसदों का संसद परिसर में 12 घंटे का धरना

उन्होंने आरोप लगाया कि बिल को स्थाई समिति में भेजने की विपक्ष की मांग खारिज कर इसे संसद में बिना किसी उचित जांच के जबरन पास कर दिया गया। नेता विपक्ष ने दावा किया कि मजदूरों, ग्रामीण भारत खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की ताकत को कमजोर कर सत्ता का केंद्रीकरण करना और फिर नारों को ”सुधार” के रूप में बेचना पीएम मोदी का लक्ष्य है।

वहीं राज्यसभा में गुरूवार मध्यरात्रि बारह बजे जी राम जी बिल पारित होने के बाद संविधान सदन के द्वार पर महात्मा गांधी तथा रवींद्रनाथ टैगोर की तस्वीरें लेकर तृणमूल सांसद धरने पर बैठ गए जो शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक चला। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने मोदी सरकार कानून पास करवाने के लिए बुलडोजर वाली रणनीति अपना रही है।

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