जयपुर। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने देश में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या और अदालतों में पेंडिंग मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने को कहा है। उन्होंने यब बात जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा- हम जहां जाते हैं, लोग हमसे भी पेंडिंग केस का सवाल पूछते हैं। केस कब तक चलेगा?
हम सब जानते हैं पेंडेंसी का कारण क्या है? पेंडेंसी का मुख्य कारण ज्यूडिशियल वैकेंसी नहीं भरना और ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर का उतना इंप्रूव नहीं होना है। मैंने सीएम-सीजे कांफ्रेंस में इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्दा उठाया था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे कंसीडर नहीं किया गया। मुझे उम्मीद है कि इश्यू को रि-कंसीडर किया जाएगा।
देश की जेलों में 61 लाख से अधिक कैदी
उन्होंने कहा, देश मे इस समय जितने भी कैदी जेलों में हैं, उनमें से 80% अंडर ट्रायल हैं। देश में अभी 61 लाख से ज्यादा कैदी हैं। इनके फास्टर रिलीज पर हमें काम करना होगा। हमारे देश में क्रिमिनल जस्टिस के सिस्टम की प्रक्रिया ही सजा है।
नालसा एक्ट इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। पांच करोड़ पेंडिंग केसेज में से एक करोड़ केस नालसा ने पिछले एक साल के निपटाए हैं। इसमें हमारे जजों ने शनिवार और रविवार को एक्स्ट्रा काम किया है। हमें यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि नालसा की मूल भावना को नहीं भूलना चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत और केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने वकीलों की अधिक फीस को कम करने के लिए एक सिस्टम बनाने की बात कही।