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चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया की संगठन में हैसियत कम हो गई है। इसका अंदाजा उस वक्त लगा जब प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश प्रवास पर थीं और पुनिया उनसे मिलने नहीं गए। यही नहीं, उन्हें समन्वय समिति की बैठक में भी नहीं बुलाया गया। जबकि वे लखनऊ में ही मौजूद थे। दिल्ली में छत्तीसगढ़ से जुड़े विषय अब सीधे प्रभारी महामंत्री केसी वेणुगोपाल देख रहे हैं। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि पुनियाजी की तबीयत भी थोड़ी खराब रहती है। कुछ समय पहले वे हॉस्पिटल में भी भर्ती थे। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को भी ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पुनियाजी ने अपने करीबी सेवाभावी लोगों को निगम मंडल में एडजस्ट करा ही दिया है। देर सवेर वे बदल जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
ऐसे हुई कलेक्टर की बदली
करीब साल भर पहले एक कलेक्टर को आनन-फानन में हटाए जाने की खबर अब छनकर बाहर निकल रही है। कलेक्टर ने भाजपा सरकार में ताकतवर रहे मंत्री की फाइल खुलवा दी थी। बताते हैं कि ऐसा करने के लिए भाजपा के ही दूसरे खेमे ने प्रेरित किया। फाइल खुली तो चर्चा बाहर निकलनी ही थी। अब पूर्व हो चुके मंत्री इतने कमजोर भी नहीं थे उन्होंने सारी बातें ऊपर तक पहुंचाई और फिर कलेक्टर महोदय की बदली हो गई।
राजनीतिक कोरोना का असर
राजनीतिक अस्थिरता के चलते राज्य सरकार के कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर ग्रहण लग गया है। नौकरशाह मजे में है। मौसम विशेषज्ञ की तरह दिल्ली पर पैनी निगाह लगाये हुए है। भूपेश सरकार ने नगरीय प्रशासन, आवास पर्यावरण सहित कई विभागों को धरातली स्थितियों के अनुसार योजना तैयार करने का टास्क दिया था। इस दिशा में ड्राफ्ट तैयार है परंतु अधिकारियों का भी काम में मन नहीं लग रहा है और मंत्री भी उप समिति की बैठक लेकर काम को गति देने की जरूरत भी नहीं समझ रहे है। कई महीनों से मंत्री मंत्रालय तक नहीं गये है। मंत्रालय व संचालनालय में जरूरी काम ही हो रहे है बाकि काम सब छूट रहे है। राजनीतिक नियुक्ति भी ठंडे बस्ते में चला गया है। कोरोना काल से उबरे तो राजनीतिक कोरोना ने प्रशासन को फिर बीमार कर दिया है।
सबनम मौसी का आशीर्वाद
मध्यप्रदेश की चर्चित किन्नर विधायक सबनम मौसी रायपुर आकर दो दिन राजधानी में मंत्री व प्रमुख नेताओं अधिकारियों को आशीर्वाद देकर चली गई। किन्नरों की नेता सबनम मौसी से राजनीतिक अस्थिरता के चलते कई लोगों ने आशीर्वाद लिया और दान दक्षिणा भरपूर देकर रवाना किया। देखते हैं कितनों को फलता है।
दिग्गी राजा के संकेत
मध्यप्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले दिग्विजय सिंह की राय कांग्रेस हाईकमान के सामने महत्वपूर्ण मानी जाती है। दिग्विजय सिंह की रूचि किधर है राजनीतिक इसका पता लगाते रहे। एक तरफ छोटा भाई टी.एस. सिंहदेव दूसरी तरफ चेला भूपेश बघेल। छत्तीसगढ़ में उनके बहुत बड़ी संख्या में समर्थक भी है जिनको संकेत का इंतजार था। कुछ दिनों के असमंजस्य के बाद दिग्विजय सिंह ने संकेत दे दिया कि जिसके साथ लोग वहीं असली नेता। बहुमत जिधर उधर सरकार। इशारों-इशारों में दिग्गी राजा ने सब कुछ कह दिया।
नीचे से उपर तक बेहाल
स्वास्थ्य विभाग का हाल ऊपर से नीचे तक बेहाल है। बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में 333 कर्मचारी एक माह से अधिक समय से स्थायी नौकरी की मांग को लेकर आंदोलनरत है। कोरोना में काम किये कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। आलोक शुक्ला जैसे कर्मठ अधिकारी भी घिर रहे है। दवाई खरीदी करने वाले जिम्मेदार आईएएस अधिकारी फाइलों में सैकड़ों आपत्ति लगाते हुए हस्ताक्षर नहीं कर रहे है। हर फाईल की बड़ी कहानी है। प्रशासन में निगेटिव माने जाने वाले अधिकारियों की जमात लग गई है। मंत्री तक चुप्पी ओढ़ कर देख रहे है।