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PREMANAND MAHARAJ DARSHAN : प्रेमानंद जी महाराज के रात्रि दर्शन अनिश्चितकाल के लिए बंद, जानें क्यों लिया गया यह फैसला

PREMANAND MAHARAJ DARSHAN: Premanand Ji Maharaj’s night darshan closed indefinitely, know why this decision was taken

वृंदावन। श्री हित राधा केलि कुंज परिकर द्वारा एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि अब से प्रेमानंद जी महाराज के रात्रि दर्शन अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यह निर्णय महाराज जी के स्वास्थ्य और बढ़ती हुई श्रद्धालु भीड़ को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

प्रेमानंद जी महाराज की पदयात्रा, जो रात 2:00 बजे से शुरू होती थी, अब नहीं होगी। उनके आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल ‘भजन मार्ग’ पर जारी सूचना में कहा गया है कि महाराज जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और बढ़ती हुई भीड़ के कारण यह निर्णय लिया गया है। अब श्रद्धालुओं को रात्रि 2 बजे परिकर्मा मार्ग पर उनकी पदयात्रा में शामिल होने का अवसर नहीं मिलेगा।

हजारों की संख्या में जुटती है भीड़

प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम श्री हित राधा केलि कुंज है, जहां पर राधा कीर्तन और सत्संग का आयोजन होता है। हालांकि, दर्शन के लिए बहुत अधिक श्रद्धालुओं का प्रवेश संभव नहीं हो पाता, इसलिए महाराज जी ने अपने स्वास्थ्य के बावजूद रात्रि 2 बजे अपने एक अन्य आश्रम से निकलकर सार्वजनिक रूप से दर्शन देने के लिए परिकर्मा मार्ग पर पदयात्रा शुरू की थी। इस दौरान, सड़क के दोनों छोरों पर हजारों भक्तों की भीड़ लगती थी और यह यात्रा लगभग 2-3 किलोमीटर लंबी होती थी।

स्वास्थ्य समस्याएं बनीं वजह

प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं, और इसके बावजूद उनका चेहरा चमकदार रहता है और उनका रूप अद्भुत है। पिछले 17-18 वर्षों से उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई है, लेकिन वे फिर भी भक्तों के बीच सक्रिय रहते हैं। उनका यह अद्भुत रूप श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और वे उन्हें सुनने और दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय

प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज है। उनका जन्म कानपुर के एक गांव में हुआ था, और 13 साल की उम्र में वे घर से संन्यास के मार्ग पर चल पड़े थे। उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित किया और पहले काशी में भगवान शिव के प्रति भक्ति में लीन रहे। बाद में वे वृंदावन आए और राधारानी के परम भक्त बने। आज उनकी उपदेशों और प्रवचनों का प्रभाव पूरे देश और दुनिया में महसूस किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

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