
POLITICS NEWS: Who is Narad Rai? Left SP and joined BJP
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री नारद राय ने सपा का साथ छोड़ दिया है। यह खबर मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वाराणसी में संयुक्त रैली से ठीक पहले सामने आई। पार्टी छोड़ने के बाद नारद राय ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान भी किया है।
नारद राय का यह कदम अखिलेश यादव की पार्टी के लिए आखिरी चरण के मतदान से पहले एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि राय के इस फैसले से बलिया लोकसभा सीट पर स्थानीय समीकरणों तो प्रभावित होंगे ही साथ ही पड़ोसी वाराणसी सीट (जहां भूमिहार मतदाताओं की बड़ी तादाद है) पर भी कांग्रेस को इसका नुकसान हो सकता है। यहां पीएम मोदी के सामने अजय राय चुनाव लड़ रहे हैं।
क्यों खफा हुए नारद राय? –
बलिया विधानसभा सीट से विधायक 63 वर्षीय नारद राय सपा के बड़े नेता माने जाते थे। पूर्व मंत्री ने दावा किया कि उन्हें इस बार बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश की गई थी, लेकिन सपा नेतृत्व ने “अंसारी बंधुओं के प्रभाव में” उनकी जगह सनातन पांडे को उतारने का फैसला किया।
नारद राय कभी दिवंगत सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे। अब रात ने आरोप लगाया कि उन्हें अखिलेश यादव से सम्मान नहीं मिला। पूर्व मंत्री को 2017 के विधानसभा चुनावों में सपा का टिकट नहीं दिया गया था। अब यह भी आरोप लगाते हैं कि अखिलेश यादव ने 2022 में उनको हराने के पूरे प्रयास किए थे।
अमित शाह से की मुलाकात –
नारद राय 1980 के दशक की शुरुआत में युवा नेता के तौर पर सपा में शामिल हुए थे। राय ने सोमवार को वाराणसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भाजपा को अपना समर्थन दिया सपा को हराने की बात तक कही। नारद राय इससे पहले वाराणसी में अजय राय और बलिया में सनातन पांडे के लिए प्रचार कर रहे थे। वह दावे करते रहे हैं कि उन्होंने अपने जीवन के 40 साल सपा को दिए हैं।