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न्यायालयीन झमेले में फंस सकती है बाल अधिकार संरक्षण आयोग की नियुक्ति, हाई कोर्ट में याचिका दायर होते ही अटकलें शुरू, मचा राजनीतिक घमासान

बिलासपुर। प्रदेश सरकार द्वारा निगम मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति के बीच बाल अधिकार संरक्षण आयोग की नियुक्ति भी राजनीतिक रूप से कर दी गई है। इस नियुक्ति को लेकर राजनीतिक बवाल मचना शुरू हो गया है। वहीं, अवैधानिक रूप से की गई नियुक्ति न्यायालयीन झमेले में भी पड़ सकती है। प्रकरण में अब हाई कोर्ट के रूख का इंतजार है।

राजनांदगांव जिले के मानपुर मोहल्ला की पूर्व विधायक व कांग्रेस नेत्री तेज कुंवर नेता को राज्य शासन ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया है। उनकी नियुक्ति की वैधानिकता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की नियुक्ति मनोननयन के आधार पर नहीं की जा सकती। इस पद के लिए राज्य शासन द्वारा विज्ञापन जारी कर नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा भी तेज कुंवर के मनोनयन को लेकर कई तरह के पेंच फंसे हुए है।

इसके चलते उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह मामला अब हाई कोर्ट भी पहुंच गया है। ऐसे में उनकी नियुक्ति कानूनी झमेले में फंस सकती है। प्रविधान के अनुसार बाल अधिकार संरक्षण पद के लिए शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुभव और आयु सीमा भी निर्धारित है। लेकिन, राज्य सरकार ने तेज कुंवर के मनोनयन में सारे नियमों को दरकिनार कर दिया है। अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक चौबे ने इस नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती दी है,

जिसमें उन्होंने नियुक्ति की वैधानिकता को लेकर सवार खड़ा किया है। उन्होंने इस अवैधानिक नियुक्ति को ही निरस्त करने की मांग की है। इस महत्वपूर्ण प्रकरण में राज्य शासन के साथ ही आला अधिकारियों की नजर हाई कोर्ट की ओर लगी हुई है। हालाकि, अभी इस याचिका की सुनवाई की तिथि तय नहीं हुई है।

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