जगदलपुर/दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले का नक्सल प्रभावित गांव रेंगानार कोरोना काल में 100 फीसदी वैक्सीनेशन होने से मिसाल बन गया है। वहीं जिला मुख्यालय से बेहद करीब का पनेड़ा गांव में जागरूकता की कमी ने प्रशासन के लिए मुसीबत बन गई है। एक ओर 18 प्लस वाले युवक-युवतियों को नपुंसक होने का संदेह है, वहीं बुजुर्गों को मौत का डर सता रहा है। यहां तक कि इनको जागरूक करना भी मुसीबत भरा हो गया है। ग्रामीण या तो खुद भाग जाते हैं या डंडा लेकर टीम को दौड़ा लेते हैं।
18 प्लस वाले बोले – वैक्सीन लगा ली तो नहीं बन पाएंगे माता-पिता
गीदम ब्लॉक मुख्यालय से महज 3 किमी दूर पनेड़ा गांव। जब भास्कर टीम गांव में पहुंची तो सड़क किनारे एक कच्चे मकान के सामने कुछ युवा बैठे हुए थे। उनसे कोरोना संक्रमण और वैक्सीनेशन को लेकर बात की। पहले तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए, फिर कहा वैक्सीन लगवाएंगे तो नपुंसक हो जाएंगे। पिता बनने का सुख नहीं मिलेगा। वहीं युवतियां भी ऐसा ही सोचती हैं। उन्हें भी लगता है कि वैक्सीनेशन कराने के बाद वे मां नहीं बन पाएंगी।
बुजुर्गों ने कहा- सुई लगवाई तो मर जाएंगे, घर कौन चलाएगा
ऐसी ही स्थिति बुजुर्गों को भी है। अफवाह और गलतफहमी के कारण गांव के बुजुर्गों को लगता है कि वैक्सीनेशन के बाद वे मर जाएंगे। इस संबंध में जब उनसे बात की तो सब एक साथ बोले कि वैक्सीन लगवाने के तीन साल के अंदर वे मर जाएंगे। अगर मर गए तो घर कौन चलाएगा हमारा। हमें अभी जीना है। जागरूकता की यही कमी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गई है। हालांकि ग्रामीणों को बार-बार जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों को कोरोना की वैक्सीन लगाने जागरूक करने के लिए जागरूकता दल का गठन किया गया है। पनेड़ा के जागरूकता दल के सदस्य बसंत यादव ने बताया कि अप्रैल से दल बनाया गया है। वे ग्रामीणों को उनके घर बुलाने जाते हैं तो लड़ना शुरू कर देते हैं। बुजुर्ग न खुद केंद्र पहुंचते हैं और न घर के युवाओं को जाने दे रहे हैं। ज्यादा दबाव बनाओ तो कई बार ग्रमीणों ने लाठी लेकर भी दौड़ा लिया है। कई हमें देखकर भाग भी जाते हैं।
अब तक 639 लोगों को लगा टीका
पनेड़ा ग्राम पंचायत के सचिव ने बताया कि करीब 1836 की आबादी वाले इस गांव में बड़ी मुश्किल से 18 व 45 प्लस वाले कुल 639 लोगों को ही टीका लग पाया है। इनमें 383 बुजुर्ग शामिल हैं। इन्हें भी बड़ी मुश्किल से वैक्सीनेशन केंद्र लाया गया। अन्य लोगों को टीकाकरण केंद्र तक भी लेकर जाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिलहाल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है।
रेंगानार ग्राम पंचायत बनी मॉडल
दंतेवाड़ा जिले की नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत रेंगानार की आधी आबादी अशिक्षित है। इसके बाद भी 100% वैक्सीनेशन कर प्रदेश की पहली मॉडल ग्राम पंचायत बन गई है। यहां भी वैक्सीनेशन का काम पूरा करना आसान नहीं था। नपुंसकता, बीमार पड़ने, अपंगता जैसी कई अफवाहों ने भी यहां के ग्रामीणों को खूब डराया। ग्रामीण एक कदम पीछे भी हटे। लेकिन जब स्वास्थ्य टीम, ग्राम पंचायत ने उदाहरणों के साथ ग्रामीणों को टीकाकरण का महत्व समझाया।