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तिरछी नजर : आईएएस का खुला पुराना पाप

सरकार के एक संवैधानिक संस्था में काबिज आईएएस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रकरण की पुरानी फाइल खुल गई है। प्रारंभिक जांच में अफसर दोषी पाए गए हैं और अब मंत्रीजी ने बकायदा उन पर एफआईआर के लिए लिख भी दिया है। बताते हैं कि अफसर ने पहले फाइल को नस्तीबद्ध कराने के लिए काफी कोशिश की थी। लेकिन उनके खिलाफ दस्तावेज इतने पुख्ता हैं कि मंत्रीजी चाहकर भी ऐसा नहीं कर सके। अफसर के खिलाफ एफआईआर के लिए अनुमति के लिए फाइल भेज दी गई है जहां अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। अफसर ने तो थोड़ा जोर लगाया है इसलिए फाइल रूकी पड़ी है। कुछ भी हो, पुराना प्रकरण अफसर की गले की हड्डी बन गई है।

वित्त मंत्री के लिए ऐसे हुआ बजट का जुगाड़

सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा के बड़े नेता छोटे-छोटे कार्यक्रमों के लिए पैसों के मोहताज हो गए हैं। जिन्होंने 15 साल में अपार धन कमाए हैं वो पैसे नहीं निकाल रहे हैं। निकाय चुनाव में तो चंदा इकट्ठा करने के लिए सभी जगह समिति बना दी गई है। पिछले दिनों केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का आगमन हुआ। बताते हैं कि होटल का खर्च देने में भी पार्टी के कोष संभालने वाले लोग अनाकानी करने लगे। एक ने सुझाव दे दिया कि क्यों न कार्यक्रम का खर्चा मैडम के विभाग पर ही थोप दिया जाए। निर्मला सीतारमन देश का कोष संभालती हैं। इनकम टैक्स से लेकर कई संस्थाएं उनके विभाग के अधीन हैं। लेकिन दिक्कत यह थी कि इनकम टैक्स वालों को कार्यक्रम का खर्चा उठाने के लिए कैसे कहा जाए। क्योंकि पार्टी में हावी बड़े नेता कारोबार जगत से ताल्लुक रखते हैं। अगर इनकम टैक्स वालों को बात बुरी लग गई, तो लेने के देने पड़ सकते थे। किसी तरह एक ने हिम्मत करके स्थानीय आयकर अफसर से पूछ लिया कि क्या विभाग होटल का बिल पेमेंट करेगा? अफसर ने नजर तिरछी करते हुए कह दिया कि विभाग में इस तरह खर्च उठाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बाद पार्टी नेताओं को होटल का बिल करना पड़ा।

कलेक्टर से परेशान कांग्रेसी

सरगुजा संभाग के एक कलेक्टर से कांग्रेस नेता इतने परेशान हो गए हैं कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त एक बोर्ड के प्रमुख और जिला कांग्रेस के मुखिया पिछले दिनों प्रभारी मंत्री के जिला मुख्यालय में प्रवास के दौरान उनसे मिलने पहुंच गए। उन्होंने कलेक्टर की जमकर शिकायत की और कहा कि वो बिल्कुल भी नहीं सुन रहे हैं। और तो और वो फोन भी नहीं उठाते हैं। मंत्रीजी से यह भी शिकायत की गई कि वो भाजपा के नेताओं की ज्यादा सुन रहे हैं। दरअसल, कलेक्टर कांग्रेस की गुटीय राजनीति से वाकिफ हैं। और ऐसा वो जानबूझकर कर रहे हैं। लेकिन मंत्रीजी सिर्फ शिकायतें सुनते रहे कोई आश्वासन नहीं दे पाए।

 

आरडीए में अध्यक्ष पर भारी सदस्य

सुभाष धुप्पड़ आरडीए चेयरमैन का पद तो पा गए हैं लेकिन बाकी पदाधिकारियों ने उन पर नकेल कसकर रखा है। चर्चा है कि वो चाहकर भी कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रहे हैं। बताते हैं कि धुप्पड़ ने नूतन राइस मिल की जमीन को आबंटित करवाकर व्यावसायिक उपयोग का सुझाव दिया था। लेकिन उपाध्यक्ष सूर्यमणी मिश्रा और शिव सिंह ठाकुर अड़ गए और साफ शब्दों में कह दिया कि जमीन सिर्फ आवासीय प्रयोजन के लिए उपयोग होगा। सूर्यमणी मिश्रा की छवि साफ सुथरे और ईमानदार नेता की है। मजे की बात यह है कि सूर्यमणी और बाकी पदाधिकारी एकजुट हैं और एक साथ दौरा करते हैं। अफसर भी भांप गए हैं। लिहाजा वो धुप्पड़ की तुलना में बाकियों को ज्यादा महत्व देते हैं। धुप्पड़ लालबत्ती पाकर भी अलग थलग दिखते हैं।

चौतरफा आबकारी की मांग

प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद पार्टी के विधायकों के सामने कार्यकर्ताओं को चुनाव तक खुश रखना बड़ा चुनौतीपूर्ण काम हो गया है । कांग्रेस के सक्रिय नेता अपने विधायकों से आर्थिक स्थिति ठीक करने तरह तरह के काम मांग रहे है। कार्यकर्ता सबसे ज्यादा मांग आबकारी विभाग से जुड़े काम कर रहे है।

एक तरफ सरकार शराबबंदी के अपने वायदे के कारण परेशान है। दूसरी तरफ विधायक अपने कार्यकर्ताओं के दबाव के चलते कुछ रास्ता निकालने की कवायद में जुड़े है। वैध और अवैध शराब के इस खेल में अब पुलिस भी बड़ी भूमिका में आ गयी है। चौतरफा तिकड़म से खराब आर्थिक हालत से जुझती सरकार के राजस्व संग्रहण पर प्रभाव पड़ रहा है।

केन्द्र की एजेंसीयों की नज़र

राजनीति के जानकारों का यह अनुमान है कि नये वर्ष में छत्तीसगढ़ में केन्द्र सरकार की विभिन्न एजेंसी की अधिक सक्रियता और कार्रवाई बढ़ेगी। कई खुलासे हो सकते है। केन्द्र सरकार के विभिन्न एजेंसी के पदस्थ अधिकारियों की निगाह छत्तीसगढ़ के राजनेताओं और नौकरशाहों पर है। छत्तीसगढिय़ा मूल के एक नौकरशाह के जमीन जायदाद की पूरी जानकारी एकत्रित कर टाप सूची में रखी गयी है। इस अधिकारी पर पारिवारिक सदस्यों के नाम पर जमीन खरीदनें का आरोप है। एक कांग्रेस नेता के बारे में भी पूछताछ की जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार से नाराज अधिकारी इस काम में विपक्षी नेताओं को भी मदद कर रहे है।

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