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तिरछी नजर : कोयले की दलाली में हाथ काला

 

बहुत पुरानी कहावत है कोयले का काम करना याने कोयले की दलाली में हाथ काला करना है। यह कहावत छत्तीसगढ़ में ईडी के छापे के बाद सही साबित हो रही है। कोयले की दलाली के राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र को गहराई से समझने की जरूरत है। कोल ब्लाक आबंटन के समय जब देशभर में तहलका मचा तब छत्तीसगढ़ में कुछ भी गड़बड़ी नहीं मिली थी। प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के एक साल बाद ही माईनिंग के कारोबार को अच्छे से समझने वाले टॉप अफसर भी नये तरीके के इस काम को अपनी सरकार में नहीं कर पाने का अफसोस करते हुए खोजबीन शुरू कर दिये थे। कोयला और पावर के काम करने वाले धन कुबेरों की महत्वाकांक्षा और लबालब पैसा ने दिल्ली तक पटकथा पहुंचा दी। इस कोयले के धंधे में राजनीतिज्ञ, व्यापारियों और अफसरों के गठजोड़ का काला चिट्टा है। किसको कोल ब्लॉक कब मिला? कैसे मिला? किस-किस पार्टी के नेताओं का संरक्षण कब रहा? पहले क्या सिस्टम रहा और अब क्या सिस्टम है, इसके बंद होने के अर्थशास्त्र में कब्जे की लड़ाई है। झारखंड और कर्नाटक के बाद छत्तीसगढ़ का भी नाम उभर रहा है।
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प्रायवेट गाडिय़ों में कौन

राजधानी रायपुर के देवेन्द्र नगर स्थित अफसर कॉलोनी में पहली बार ईडी के अधिकारियों ने दस्तक दी, इसकी भनक कुछ देर में ही पूरी कॉलोनी में फैल गई। इस छापे के बाद सुबह 8 से 10 बजे के बीच जिस तरह प्रायवेट गाडिय़ों की दस्तक बढ़ी। लोग भी हैरान हो गये थे। आमतौर पर अफसर कॉलोनी में तीन जनप्रतिनिधयों को छोड़कर सरकारी गाडिय़ां ही दिखती है। पहली बार प्रायवेट बड़ी-बड़ी लग्जरी गाडिय़ां इसमें अन्य प्रदेशों की गाडिय़ां भी दौड़ती रही। इसके कई अर्थ निकाले जा रहे है। इन गाडिय़ों में कुछ ईडी के अधिकारी थे जो जांच पड़ताल करने आये थे। कुछ गाडिय़ां राजधानी के धन्नासेठों के माने जा रहे है। बड़ी गाडिय़ां सीधे बंगले में सीधे घुसी और आधे घंटे के बाद ही रवाना हो गई। लग्जरी गाड़ी में पहुंचने वाले कौन थे? क्या चर्चा करने आये थे इसकी तहकीकात भी चल रही है।
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रमन के शक्ति का एहसास
पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने अपना 70वां जन्मदिन जोरदार तरीके से मनाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया। राजधानी से लेकर ब्लॉक तक के सैंकड़ों कार्यकर्ता और दिग्गज नेताओं नेता शामिल हुए। भाजपा सरकार जाने के बाद इस बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम के जरिये यह भी तय हुआ कि रमन सिंह अकेले सर्वमान्य नेता है यही भूपेश के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। पार्टी ने भी रमन के जन्मदिन पर कई संगठनात्मक बैठक और कार्यक्रम कर यह संदेश दिया कि पार्टी रमन के साथ खड़ी है, मार्गदर्शक मंडल के अफवाह उड़ाने वाले अपनी सोचे।
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विस स्तर तक निगाह
चुनावी मुद्दे और लोक लुभावन घोषणाओं के अलावा छत्तीसगढ़ में चुनावी प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विरोधियों को रोकने सांप-सीढ़ी का खेल खेला जाएगा। छत्तीसगढ़ में केन्द्रिय एजेंसियां के आगामी एक वर्ष सक्रिय तक रहने के डर में कई लोग सतर्क हो गए हैं। पद पाने की इच्छा रखने वाले कई अधिकारी और नेता भी कदम सम्भलकर उठाने लगे है। यह दावा किया जा रहा है कि इनकम टैक्स विभाग, ईडी, सेंट्रल एक्साईज, जीएसटी और चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद तक करीब सात सौ से एक हजार से अधिक लोगों पर निगाह रहेगी। इसमें कई विधानसभा, क्षेत्र के दिग्गज, रणनीतिकार और फायनेंसरों पर गाज गिर सकती है। यह काम कई अन्य राज्यों में होने के कारण इसी तरीके का अनुमान रणनीतिकारों ने बनाई है।
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