
कांग्रेस के सिंधी नेता बेचैन हैं। निगम-मंडल की दो सूची जारी हो गई, लेकिन किसी भी सिंधी नेता को जगह नहीं मिली। एक सूची और जारी होने की संभावना है। सिंधी अकादमी में अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। स्वाभाविक है कि सिंधी अकादमी में किसी सिंधी भाई को ही जगह मिलेगी। इसके बावजूद सिंधी नेता, पार्टी के बड़े लोगों के समक्ष दावेदारी ठोंकने और उन्हें खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे ही पद की चाह रखने वाले एक सिंधी नेता सावन शुरू होने से पहले घर से मटन बनवाकर दाऊजी के लिए ले गए। उम्मीद थी कि जायकेदार मटन खाकर दाऊजी खुश होंगे, लेकिन हुआ ठीक उल्टा। जैसे ही सिंधी नेता ने टिफिन का ढक्कन खोला, दाऊजी भड़क गए। उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि कोरोनाकाल में कोई बाहर का खाता है क्या? वे यही नहीं रूके, उन्होंने पूछ लिया कि सिक्योरिटी वालों ने खाने-पीने का सामान लेकर अंदर आने कैसे दे दिया ? हड़बड़ाए सिंधी नेता टिफिन का ढक्कन बंद करके कमरे से बाहर निकल गए तभी उन्हें दाऊजी के करीबी नेता मिल गए और सिंधी भाई ने बिना देर किए करीबी को मटन का डिब्बा यह कहकर भेंट किया कि खास आपके लिए घर से बनवाकर लाया हूं। नेताजी ने भी खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। नेताजी ने भरोसा दिलाया है कि उन्हें एडजेस्ट करने के लिए अपनी तरफ से पूरा जोर लगाएंगे। अब पद मिलेगा या नहीं यह तो तीसरी सूची जारी होने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन मानना पड़ेगा सिंधी भाई को, जिन्होंने अपना खोटा सिक्का भी ऐसे चलाया जैसे बिल्कुल खरा हो।
राहुल-प्रियंका से मिलने नेताओं की दिल्ली दौड़
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के ताकतवर नेता पिछले कुछ दिनो से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलने की कोशिश में लगे हैं। डॉ. चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव दिल्ली डेरा डाले हुए थे। काफी कोशिश के बाद भी तीनों की राहुल से मुलाकात नहीं हो पाई। अलबत्ता, विकास उपाध्याय इन सबसे तेज निकले। वो असम का डेलिगेशन लेकर राहुल गांधी से मिलकर आ गए। गुंडरदेही के विधायक कुंवर सिंह निषाद भी तीन दिन दिल्ली में थे। उन्होंने भी राहुल से मिलने के लिए समय मांगा था। राहुल से मुलाकात नहीं हुई तो वो राहुल के पीए के साथ आधा घंटा बैठक कर निकल गए। चर्चा है कि टीएस सिंहदेव की राहुल से मुलाकात तो नहीं हो पाई, लेकिन प्रियंका गांधी से जरूर बात हुई है। प्रियंका का पूरा ध्यान यूपी चुनाव की तरफ है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ को लेकर गंभीर नहीं है। वैसे भी यहां विधायक दल की संख्या इतनी ज्यादा है कि फिलहाल ध्यान देने की जरूरत नहीं है। हालांकि बाबा ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और एक बार फिर दिल्ली चले गए हैं। अब देखना यह है कि उन्हें मुलाकात का समय मिल पाता है या वे भी दूसरे नेताओं की तरह बैरंग लौटते हैं।
पीके की शरण में सूर्या
चर्चा है कि सूर्या की पीके (प्रशांत किशोर) के साथ बैठक हुई है। पीके कांग्रेस में काफी दखल रखते हैं और चर्चा है कि उन्हीं की सिफारिश पर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। पीके एक तरह से प्रियंका गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में पीके के साथ सूर्या की मुलाकात के मायने तलाशे जा रहे हैं। कुछ लोग बताते हैं कि पीके से सूर्या का परिचय विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था। अब कहा जा रहा है कि पीके के जरिए हाईकमान को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स्थिति और सरकार के कामकाज का फीडबैक दिया गया है। सूर्या किस खेमे से है, यह बताने की जरूरत तो नहीं है। हालांकि फिलहाल तो सब कुछ बहुत बढिय़ा है, लेकिन इस मेल-मुलाकात में क्या खिचड़ी पकाई जा रही है, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।