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नहीं सुधरेगा पाकिस्तान… फिर तैयार कर रहा आतंकियों का ढांचा, ऑपरेशन सिंदूर में हो गए थे तबाह

श्रीनगर। ऑपरेशन सिंदूर के जख्मों को सहला रहा पाकिस्तान अभी भी जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए आतंकियों को हथियार और ट्रेनिंग उपलब्ध कराने की अपनी नीति से पीछे हटता नजर नहीं आ रहा है। जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के पार पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आतंकी शिविरों और लॉन्चिंग पैड की मरम्मत के साथ कुछ नए आतंकी ट्रेनिंग कैंप भी बनाना शुरु कर दिए हैं। अलबत्ता, नए कैंपों का आकार मौजूदा कैंपों की तुलना में छोटा रखा गया है जिनमें अधिकतम 50-75 आतंकियों के एक साथ ठहरने व प्रशिक्षण की सुविधा है। लाहौर के निकट मुरीदके में स्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय और बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी मरम्मत के बाद जिहादी तत्वों का नए सिरे से गढ़ बन गया है।

आतंकी संगठनों के कमांडरों की बुलाई थी बैठक

आतंकी संगठनों में समन्वय बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने उनकी एक एकीकृत कमांड भी बनाने का फैसला किया है। एकीकृत ऑपरेशनल कमांड की रूपरेखा तय करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने गत दिनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, अल-बदर, तहरीके जिहादे इस्लामी, मुस्लिम जांबाज फोर्स, तहरीकुल मुजाहिदीन, हुजी समेत विभिन्न आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडरो की एक बैठक बुलाई थी।
इसमें जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में तेजी लाने और जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के लिए हथियार व पैसे की सप्लाई चेन पर भी चर्चा हुई है।

नए आतंकियों की भर्ती का प्रयास

जैश, लश्कर और अल-बदर जैसे संगठनों ने लाहौर, मुल्तान, कराची समेत पाकिस्तान के विभिन्न शहरों व कस्बों में ही नहीं गुलाम जम्मू कश्मीर के मुजफ्फराबाद, चकोटी,भिम्बर में बीते दिनों अपनी रैलियां भी की हैं। इन रैलियों में भारतीय सेना की कार्रवाई में नष्ट आतंकी शिविरों और मारे गए आतंकी कमांडरों की तस्वीरों के साथ कश्मीर जिहाद के नाम नए आतंकियों की भर्ती का प्रयास किया गया है।

पाकिस्तानी सेना की निगरानी में हो रहा काम

खुफिया सूत्रों के अनुसार, आतंकी शिविरों की मरम्मत और निर्माण का काम पाकिस्तानी सेना की इंजीनियरिंग कोर की निगरानी में हो रहा है। नए आतंकी ठिकानों को घने जंगलों में या फिर आबादी से दूर स्थापित किया जा रहा है,क्योंकि पहले कई आतंकी कैंप या फिर लॉन्चिंग पैड आबादी के साथ सटे इलाकों में थे।

जिससे वहां होने वाली गतिविधियां जल्द उजागर हो जाती थी और भारतीय खुफिया एजेंसियों की उन तक पहुंच भी आसान मानी जाती थी। नए कैंपों के साथ पुराने कैंपों की सुरक्षा को भी नए सिरे से तय किया गया है। एलओसी पर स्थापित ट्रेनिंग कैंपों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तानी सेना की जांच-पड़ताल चौकियों व नाकों से होकर गुजरना पड़ेगा।

लॉन्चिंग पैड के आस-पास लगाए गए ये उपकरण

इसके अलावा इन कैंपों और लॉन्चिंग पैड के आस पास सीसीटीवी कैमरे,थर्मल इमेजर सेंसर व अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं ताकि किसी भी अवांछित तत्व के प्रवेश को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि जिन ट्रेनिंग कैंपों और लॉन्चिंग पैड को मुरम्मत के बाद दोबारा क्रियाशील बनाया गया है, उनमें लूनी, पटवाल, फतवाल, टीपू पोस्ट, जमील पोस्ट, उमरांवाली , चपराड़, छोटे चक और जंगलूरा शामिल हैं।

इनके अलावा केल, शारदी, दंडियाल, अथमुकाम, जोढ़ा, लीपा वाली, चमन, छमकूट, ठंडापानी, नयाली,चकोटी, नकियालऔर फारवर्ड कहुटा समेत 13 लॉन्चिंग पैड को भी मरम्मत के बाद क्रियाशील बनाया गया है। इनमें से पांच उत्तरी कश्मीर में जिला कुपवाड़ा में एलओसी के पार गुलाम जम्मू कश्मीर में हैं। उड़ी सेक्टर के सामने चकोटी है।

पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को पुन: सक्रिय किए जाने पर कहा कि हमारे लिए यह कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान ने कभी भी आतंकियो की मदद करना बंद नहीं किया है।

वह एक जगह से दूसरी जगह आतकी कैंप स्थानांतरित करता है और वह भी तब जब उस पर कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ता है या फिर हमाीर किसी कार्रवाई में उसका कैंप नष्ट होता है। हमें पाकिस्तान के मंसूबों का पता है और उन्हें विफल बनाने के लिए हमारी पूरी तैयारी है।

 

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