Pahalgam aatanki Hamla : यहां हमले के फिराक में थे आतंकी, मौका न मिलने पर पहलगाम में मचाया आतंक

Pahalgam aatanki Hamla : पहलगाम नरसंहार से पहले ही खुफिया एजेंसियों ने कश्मीर घाटी में पर्यटकों और अल्पसंख्यकों पर आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया था। इसके आधार पर सुरक्षाबल ने श्रीनगर में डल झील के आसपास, शालीमार, निशात, हारवन और दाचीगाम में लगभग 10 दिन तक एक सघन तलाशी अभियान भी चलाया था।
इसके अलावा सोनमर्ग और गुलमर्ग में भी सुरक्षाबल ने गश्त बढ़ाई थी। कश्मीर में उन सभी क्षेत्रों में जहां अल्पसंख्यक व बाहरी राज्यों के श्रमिक रह रहे थे, वहां विशेष चौकसी बरती जा रही थी। इसी बीच, आतंकियों ने पहलगाम के बैसरन में पर्यटकों को निशाना बनाया।
डेल टलने के बाद पहलगाम में किया नरसंहार
सूत्रों के अनुसार, खुफिया सूचना थी कि आतंकियों ने कटड़ा-श्रीनगर वंदेभारत रेल सेवा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उद्घाटन किए जाने के समय या उससे एक-दो दिन पहले या बाद में किसी बड़े हमले को अंजाम देने का षड्यंत्र रचा है।
लेकिन, प्रधानमंत्री का 19 अप्रैल का जम्मू-कश्मीर का प्रस्तावित दौरा मौसम के कारण स्थगित हो गया था। इसके बावजूद सुरक्षाबलों ने अपना तलाशी अभियान जारी रखा था। इस बीच 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में आतंकियों द्वारा 26 लोगों की हत्या कर दी।
सूत्रों के अनुसार, आतंकी और सीमा पार बैठे उनके हैंडलर नहीं चाहते थे कि वंदे भारत रेल सेवा शुरू होने के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क जुड़े। इसलिए उन्होंने इस तरह की वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई।
पर्यटकों को फूड कोर्ट परिसर में किया था एकत्र
सूत्रों के अनुसार, पहलगाम हमले की जांच में जो सामने आया है, उसके मुताबिक दो स्थानीय आतंकी, हमले से पहले बैसरन में मौजूद पर्यटकों के साथ हिल मिल गए और जैसे ही पहली गोली चली, उन्होंने पर्यटकों को फूड कोर्ट परिसर में जमा किया, जहां दो अन्य आतंकियों ने गोलियां दागी और लोगों की निर्मम हत्या कर दी।
उन्होंने बताया कि नरसंहार स्थल से एसॉल्ट राइफल और एम 4 कार्बाइन, स्नाइपर राइफल की गोलियां मिली हैं। वहां से स्टील बुलेट भी बरामद की गई है। इसके आधार पर कहा जाता है कि अफगानिस्तान में नाटो सेनाओं द्वारा छोड़े गए हथियारों में से ही कुछ हथियार आतंकी संगठनों तक पहुंच गया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इसके बारे में कई बार केंद्र सरकार को चेताया है।
कश्मीर में शांति बहाली से आतंकियों में बौखलाहट
सूत्रों ने कहा कि कश्मीर में पर्यटकों के आगमन को कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली का प्रतीक माना जाता है। इससे आतंकियों में बौखलाहट है। वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी पर्यटकों की आमद को हालात के सामान्य होने के साथ जोड़ा था।
नतीजा, आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाना शुरू किया था। श्रीनगर के जकूरा इलाके में मई 2006 में एक आतंकी हमले में चार पर्यटक मारे गए थे।
सालभर खुला रहता है बैसरन
बैसरन को पर्यटकों को बिना मंजूरी खोले जाने पर सूत्रों ने बताया कि जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है। बैसरन को भारी हिमपात के समय या श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान और वह भी कभी कभार ही बंद किया जाता है। अन्यथा, यह पूरा वर्ष आम लोगों की आवाजाही के लिए खुला रहता है।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने अगस्त 2024 में बैसरन पार्क का टेंडर तीन करोड़ में तीन साल के लिए एक व्यक्ति को आबंटित किया था। इसके बाद उक्त व्यक्ति ने बैसरन पार्क के चारों तरफ तारबंदी की है। जिपलाइन, जैरा¨बग, फूड कोर्ट जैसी गतिविधियां शुरू की हैं।