OPERATION SHIELD RSS EVENT : भारत की मॉक ड्रिल से कांपा पाकिस्तान ! ब्लैकआउट और सायरन से युद्ध जैसी तैयारी

OPERATION SHIELD RSS EVENT : Pakistan trembled with India’s mock drill! War-like preparations with blackout and siren
नई दिल्ली, 31 मई 2025। OPERATION SHIELD RSS EVENT पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच भारत ने अपनी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। शनिवार को जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और चंडीगढ़ के सीमावर्ती जिलों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत मॉक ड्रिल शुरू हो गई है। इस मॉक ड्रिल का मकसद सीमावर्ती इलाकों में रह रहे नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार करना है।
ड्रिल के दौरान सायरन बजाए जा रहे हैं, ब्लैकआउट किया जा रहा है, और सभी प्रकार की लाइट्स बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। लोगों से कहा गया है कि वे खिड़कियों के पर्दे बंद रखें और वाहनों की लाइट्स का इस्तेमाल न करें। प्रशासन ने पहले से ही लोगों को इस मॉक ड्रिल के बारे में जानकारी दे दी थी, ताकि किसी भी प्रकार की घबराहट या अफवाह न फैले।
ब्लैकआउट क्यों जरूरी?
OPERATION SHIELD RSS EVENT सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, सीमावर्ती जिलों में ब्लैकआउट का मकसद दुश्मन देशों के एयरक्राफ्ट या ड्रोन को नागरिक इलाकों की पहचान करने से रोकना है। इससे हवाई हमलों के खतरे को कम किया जा सकता है।
मॉक ड्रिल की प्रमुख गतिविधियां
सायरन बजाना और ब्लैकआउट
सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की तैनाती
इवैकुएशन प्रैक्टिस (लोगों को सुरक्षित जगह ले जाना)
आपसी संवाद के तरीकों की रिहर्सल
पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ी सतर्कता
OPERATION SHIELD RSS EVENT गौरतलब है कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और POK में आतंकियों के ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से जवाबी हमले शुरू हो गए थे। ऐसे में सरकार ने सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मॉक ड्रिल की श्रृंखला शुरू की है।
7 मई की मॉक ड्रिल जैसा ही सुरक्षा अभ्यास
यह मॉक ड्रिल 7 मई को की गई मॉक ड्रिल की तर्ज पर हो रही है। उस समय भी सीमावर्ती जिलों में ब्लैकआउट किया गया था और हवाई हमलों के खतरे को देखते हुए लोगों को सुरक्षित रहने के निर्देश दिए गए थे।
ऑपरेशन शील्ड : जनता के लिए जागरूकता का माध्यम
OPERATION SHIELD RSS EVENT सरकार का मानना है कि ऐसी मॉक ड्रिल्स से नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने की जानकारी मिलती है। खासकर सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लोग इससे ज्यादा लाभान्वित होते हैं।