अब धर्म परिवर्तन करवाने वालों की खैर नहीं, कर्नाटक सरकार ने ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ किया पेश
नई दिल्ली। समय-समय पर धर्मांतरण के मामले प्रकाश में आते रहते हैं, जिसे लेकर बहस भी देखने को मिलती है। समाज के विशेष वर्ग पर शुरू से ही धर्मांतरण कराने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, वो अपने ऊपर लगे इन आरोपों को शुरू से खारिज करते हुए आए हैं, लेकिन धर्मांतरण विरोधी लोगों का कहना है कि समाज के दबे कुचले अशिक्षित लोगों को धन का लालचकर देकर बलपूर्वक धर्मांतरण कराया जाता है। अब इन्हीं सब गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक की बीजेपी सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण विरोधी प्रस्ताव लाने जा रही है। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद धर्मांतरण कराना गैर कानूनी हो जाएगा। इसके बावजूद भी अगर कोई धर्मांतरण जैसे गतिविधियों में संलिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस ने किया विरोध करने का ऐलान
वहीं, इस विधेयक के पेश होने से पहले कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध करने का ऐलान किया है। कांग्रेस का कहना है कि बलपूर्वक धर्मांतरण गलत है, लेकिन यह विधेयक एक विशेष संप्रदाय के लोगों को निशाने पर लेने के ध्येय से लाया जा रहा है। यही नहीं, कांग्रेसी नेताओं ने इसे सियासी जामा पहनाते हुए कहा कि यह आगामी लोकसभा चुनाव 2023 को ध्यान में रखते हुए लाया जा रहा है। हम विधानसभा में इस विधेयक का विरोध करेंगे। बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि, राज्य में पहले से ही बलपूर्वक धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कानून है, लेकिन यह विधेयक आगामी 2023 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। लिहाजा कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी। कांग्रेस नेता यह भी कहा कि अगर मौजूदा कानून के तहत अगर कोई बलपूर्वक धर्मांतरण कराने के आरोप में पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर विधिक कार्रवाई की जाए, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा लाया जा रहा ये अतरिक्त कानून चुनाव से प्रेरित है। जिसका हम दट कर विरोध करेंगे।
नहीं भुलाया जा सकता है ईसाइयों का योगदान
वहीं, सिद्धारमैया ने कहा कि देश में शिक्षा को उन्नत करने की दिशा में ईसाइयों का योगदान अविस्मरणीय है। हम इसका विरोध करेंगे। यह विधेयक आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए मतदाताओं को रिझाने के ध्येय से है। अब ऐसी स्थिति में कांग्रेस के विरोध के नतीजतन इस विधेयक की स्थिति पर विधानसभा में क्या कुछ असर पड़ता है। यह देखने वाली बात होगी।
बीजेपी ने क्या कहा
इसके साथ ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि अधिकांश लोग चाहते हैं कि धर्मांतरण पर अंकुश लगाया जाए। कानून विभाग इस विधेयक की गहन समीक्षा कर चुका है। इसे कैबिनेट मिटिंग के बाद स्पष्ट किया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस द्वारा विरोध का ऐलान करने पर कहा कि तमाम विरोधों के बावजूद भी इसे पारित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण हमारे समाज के लिए उचित नहीं है। लिहाजा अब इस बिल के संदर्भ में कोई कुछ भी कर ले या कह ले इसे पारित कराया जाएगा।