वन रक्षक की भर्ती गड़बड़ी मामले में नया मोड़: अधिवक्ता विजय मिश्रा की शिकायत के बाद खुलासा, घोटाले का मास्टरमाइंड निकला श्रीनिवासन राव

रायपुर : – वन रक्षक की भर्ती में गड़बड़झाले में अब एक नया मोड़ आ गया है। युवाओ के भविष्य को बर्बाद होता देख अधिवक्ता विजय मिश्रा ने शिकायत के साथ साथ उक्त भर्ती प्रक्रियाओं को लेकर सूचना का अधिकार के तहत महत्वपूर्ण जानकरी चाही थी। मिली जानकारी में कई बड़े चौकाने वाले खुलासे हुए साथ ही जो आरोप लगाए गए वह आरटीआई में सही पाए गए। इस पूरे साजिशन खेल में जंगल विभाग के मुखिया की संलिप्तता पाई गई जो लंबे समय से जंगल विभाग में पदस्थ है। तत्कालीन सरकार में जो भ्रष्टाचार की गाथा लिखी गई उसकी बानगी भाजपा सरकार में भी नजर आने लगी है। इन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से वर्तमान सरकार भी कटघरे में है वजह है फारेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया में युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ यह वही युवा वर्ग है जिसकी भविष्य से खिलवाड़ करने का खामियाजा पिछली सरकार को उठाना पड़ा था आज वही हालात वर्तमान सरकार के साथ भी है।
अधिवक्ता विजय मिश्रा ने घोटाले की खोली परते : –
मामले को लेकर अधिवक्ता विजय मिश्रा ने वन एवं जलवायु विभाग के प्रमुख श्रीनिवास राव की राज्य सरकार , मुख्य सतर्कता आयुक्त , प्रधानमंत्री कार्यालय में 11 बिन्दुवार शिकायत कर वन रक्षक भर्ती प्रक्रियाओ में गफलत को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। अधिवक्ता मिश्रा ने अपने तीन पेज के शिकायत में कहा है कि छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा वन रक्षकों (फॉरेस्ट गार्ड) के 1628 पदों पर भर्ती में बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है जिसकी उच्च स्तरीय जांच पुलिस में प्राथिमिकी दर्ज कर की जाए ताकि युवाओ का भविष्य अंधकार में न जाये। इसके लिए अधिवक्ता ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी संलग्न किए है। उन्होंने भारतीय न्याय संहित के सुसंगत धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर इस भर्ती घोटाले की जांच की मांग की है।
जंगल विभाग की करतूत से 40 हजार अभ्यर्थी का भविष्य दांव पर –
जिन 40 हजार अभ्यर्थियों है उनका टेस्ट फिर से मशीन से कराए जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या जो 40 हजार अभ्यर्थी मैनुअल टेस्ट में पास हो गए उन्हें फिर से मशीनों में दूसरा टेस्ट देना होगा या जो फेल हुए है उन्हें दुबारा मौका मिलेगा ? “एक तो करेला उस पर नीम चढ़ा” एक तो पहले इतनी बड़ी धांधली हुई उस धांधली को लीपापोती के लिए एक और धांधली जबकि नियमतः उक्त मामले में संलिप्त ठेका कंपनी समेत जिम्मेदार सभी अधिकारियों पर कार्रवाही की जानी चाहिए जिन्होंने एक गिरोह बनाकर शासन के करोड़ो रुपयों का वारान्यारा किया साथ ही युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ किया है ।
आरटीआई में बाद हुआ खुलासा : –
आरटीआई में मिली जानकारी अनुसार राज्य में वन रक्षकों की भर्ती हेतु लगभग 1600 पदों पर नवम्बर 2024 से दिसंबर 2024 के बीच फिजिकल टेस्ट विभिन्न वन मंडलों में किया गया था। इसमें लगभग 4 लाख 25 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। उक्त मामले की आरटीआई के तहत जानकारी भी चाही गई। जिसमें भर्ती में नियमों की अनदेखी करते हुए बड़े पैमाने पर धांधली बरती गई . राज्य शासन ने अपने आदेश क्रमांक एफ
1-53/2003/10-1/वन, नवा रायपुर दिनांक 21.05.2024 द्वारा वनरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी कर फिजिकल टेस्ट 200 मी. दौड़ , 800 मी. दौड़ , लंबी कूद (3 प्रयास), गोला फेंक (3 प्रयास) हेतु अंक निर्धारित किए गए थे। इस आदेश में स्पष्ट लिखा गया था कि शारीरिक क्षमता परीक्षा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच पर्याप्त रोशनी में कराई जायेगी। रात या कृत्रिम प्रकाश में नहीं किंतु कई जिलों में इस निर्देश के विपरीत, कृत्रिम प्रकाश में यह प्रक्रिया अपनाई गई। इतना ही नही शारीरिक परीक्षण हेतु स्पष्ट निर्देश के बावजूद डिजिटल उपकरण प्रणाली स्थापित नहीं की गई। आरटीआई में मिली जानकारी अनुसार जो भी आरोप लगाए गए थे वह तथ्य एवं तर्कसंगत थे जिसमें जनसूचना अधिकारी ने बताया कि उक्त पूरे भर्ती घोटाले का असली मास्टरमाइंड जंगल प्रमुख श्रीनिवासन राव है।
वनमंडलाधिकारियो की आपत्ति पर राव का पलड़ा भारी : –
इस नए तरीके को लेकर कई वनमंडलाधिकारियो ने ऐतराज भी जताया था। लेकिन प्रधान मुख्य संरक्षक श्रीनिवास राव ने पर इसका कोई असर नही पड़ा। बगैर डिजिटल प्रणाली के भर्ती प्रक्रिया को अमल में लाया गया । बालोद , सरगुजा , महासमुंद , जशपुर , कांकेर , रायगढ़ , कोरिया , बीजापुर , कवर्धा , राजनांदगांव , कोंडागांव , जगदलपुर , रायपुर , धमतरी , बिलासपुर एवं कोरबा में फिजिकल टेस्ट 16 नवंबर 2024 से प्रारंभ होकर 17 दिसंबर 2024 तक वन मंडलावार अलग-अलग तिथियों में संपन्न किया गया। फिजिकल टेस्ट के लिए एजेंसी चयन बाबत् निविदा की शर्ते राज्य शासन द्वारा जारी की गई थी। इसकी शर्त क्रमांक 04 (एच) यह स्पष्ट लेखबद्ध है कि लंबी कूद, गोला फेंक सहित समस्त अन्य टेस्ट की माप मशीनों द्वारा ली जायेगी, लंबी कूद व गोला फेंक के तीनों प्रयासों का माप मशीन द्वारा ही की जायेगी साथ ही सभी टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग की जायेगी, जिसको प्रमाण स्वरुप प्रस्तुत किया जाना होगा। ऐसे स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना करते हुए वन विभाग में भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
करोड़ो का हुआ खेल –
आरटीआई के तथ्य बताते है कि डिजिटल प्रणाली के लिए एजेंसी नियुक्ति संबंधी निविदा-टेंडर जारी होने के पश्चात टाइमिंग टेक्नोलॉजि इंडिया प्राइवेट लिमिटेड माघापुर को भर्ती प्रक्रिया का कार्य सौंपा गया था। इसके लिए 224 रुपये प्रति उम्मीदवार की दर से भुगतान भी इस एजेंसी को तय किया गया था जबकि करोड़ों के भुगतान और वर्क आर्डर प्राप्त करने के बाद यह कंपनी निर्धारित सेवा नहीं प्रदान कर पाई। नतीजतन भर्ती प्रक्रिया आपारदर्शी और विवादित हो गई। शिकायत के मुताबिक 16 नवंबर 2024 को बीजापुर, दंतेवाड़ा एवं रायगढ़ में जब फिजिकल टेस्ट के लिए उम्मीदवार प्रस्तुत हुए तो डिजिटल उपकरण स्थापित करने वाली ठेका एजेंसी के द्वारा इन जिलों के अलावा ज्यादातर अन्य केन्द्रों में भी मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई। जबकि कुछ गिने-चुने केंद्रों में मांग की तुलना में कम संख्या में उपलब्ध कराई गई मशीने भी सही ढंग से कार्य करते नही पाई गई। यह ठेका कंपनी की सेवा शर्तों के उल्लंघन के दायरे में है।
ठेका कंपनी को लाभ राव का षणयंत्र –
कई जिलों के डीएफओ ने इस संबंध में पत्र लिखकर मुख्यालय में घटनाक्रम को सूचित भी किया था बावजूद इसके श्रीनिवास राव द्वारा कोई वैधानिक कार्यवाही इस ठेका कंपनी के खिलाफ नहीं की गई। अलबत्ता ठेका कंपनी को अनुचित संरक्षण प्रदान किया गया। विभाग द्वारा जारी आदेश 21.11.2024 को हुआ उसके पश्चात कुछ वनमंडलाधिकारियों द्वारा 25.11.2024 को पत्र जारी कर मेनुअल कराये जाने हेतु अनुमति मांगी गई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि वन मुख्यालय द्वारा 21 तारीख को जारी पत्र पिछली तारीख (बैक डेट) से जारी कर आपराधिक गतिविधियां और षड्यंत्र अमल में लाया गया था। जिसका खुलासा सूचना के अधिकार में मिली जानकारी से हुआ। टेंडर की शर्त क्रमांक 3 में स्पष्ट लेख था कि सभी केन्द्रों पर लगभग 40 से 50 हजार उम्मीदवार आयेंगे। जिनका 10 से 15 दिन में नापजोख पूरा किया जाना है। इस पूर्व सूचना के कारण एजेंसी को सही समय पर पर्याप्त मशीने लगानी थी किंतु विभाग प्रमुख के संरक्षण और अनुचित लाभ प्राप्त करने की मंशा के चलते भर्ती प्रक्रिया विवादों में घिर गई। उनके मुताबिक टेंडर की शर्त क्रमांक 25 में कार्य की गोपनीयता बनी रहने की शर्त का भी पालन नहीं किया गया।
ठेका कंपनी की गैरजिम्मेदाराना हरकत जंगल प्रमुख का वरदहस्त :-
ठेका एजेंसी द्वारा मशीनो को संचालित करने के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग लिया गया (रखा गया) यह भी जांच का विषय है। उन्होंने बताया कि डिजिटल प्रणाली के लिए ठेका एजेंसी को लगभग 10 करोड़ का भुगतान सुनिश्चित किया गया है। जबकि एजेंसी ने गैर जिम्मेदारी और आपराधिक कृत्य कर पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित किया है। उक्त मामले में विजय मिश्रा ने इस प्रकरण को बतौर नोटिस राज्य सरकार के संज्ञान में लाया है। अधिवक्ता विजय मिश्रा ने कहा कि निर्धारित समय पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने की सूरत में वे अदालत का दरवाजा खट-खटाएंगे . साथ ही अभ्यर्थियों को भी इसमे सामने आने की अपील की है ताकि ऐसे अधिकारी जो अपनी जेब भरने के लिए युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है वह सलाखों के पीछे नजर आए।