रायपुर : छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के पूर्व अध्यक्ष एवं मजदूर नेता श्री सुशील सन्नी अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार के द्वारा नया श्रम कोड लागू किया गया है इस कानून से अब उद्योगों ने लगभग परमानेंट नौकरी का अंतिम संस्कार हो गया जैसे मानिए। श्री अग्रवाल ने कहां की दिनांक 21.11.25 को चार नए श्रम संहितायें लागू की गई है जिसके कारण भारत में स्थायी नौकरी कानूनी रूप से मर चुकी है।
चार नए श्रम संहिताओं ने 29 पुराने कानूनों को समाप्त कर एक नया इतिहास रचा है जिसके कारण…
• अब कोई भी कंपनी अपनी सारी नौकरियाँ फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट में बदल सकती है।
• अनुबंध खत्म होते ही कर्मचारी चला जाएगा, बिना एक पैसा मुआवजा के।
• 300 से कम कर्मचारियों वाली फैक्ट्रियाँ बिना सरकार की इजाजत बंद हो सकती हैं या सबको निकाल सकती हैं।
• काम के घंटे 12 तक बढ़ाए जा सकते हैं, ओवरटाइम दे कर कानून चुप हो जाएगा।
• ट्रेड यूनियन बनाने के लिए 51% सदस्यता चाहिए, छोटे-छोटे कॉन्ट्रैक्ट में यह नामुमकिन है।
यानी जो सुविधा पहले परमानेंट कर्मचारी को मिलती थी, वही सुविधा अब केवल कागज पर रहेगी, असल में मिलेगी सिर्फ अनिश्चितता।
सरकार इसे “श्रम सुधार” कह रही है, जबकि श्रमिक इसे “श्रम-दासता बिल” कह रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि सच यही है कि यह पूँजी को आजादी और श्रम को गुलामी देने का कानून है।
आने वाला भारत सिर्फ गिग वर्कर्स, कॉन्ट्रैक्ट लेबर और बेरोजगारी का भारत होगा, जहाँ नौजवान को हर साल नया कॉन्ट्रैक्ट, नया डर और नया संघर्ष मिलेगा।
परमानेंट नौकरी अब सिर्फ माता-पिता की कहानियों में बचेगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि जब तक देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी देश में आम आदमी, श्रमिकों और मजदूरों के हित में कानून बनाए गए थे, पर आज देश में अडानी, अंबानी और बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए वर्तमान बीजेपी की सरकार कार्य कर रही हैं। मैं इस कानूनों की घोर निंदा करता हूं। और मजदूर साथियों को यह विश्वास दिलाता हूं आने वाला समय पर निश्चित देश में कांग्रेस की सरकार आएगी तब श्रमिक हित में कार्य करेंगे।
