New Airlines NOC: भारतीय आसमान में एयरलाइन ड्यूपॉली का अंजाम हाल ही में सभी को तब समझ आ गया, जब देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का फ्लाइट शेड्यूल पूरी तरह कोलैप्स हो गया. फ्लाइट डिले और कैंसलेशन की वजह से हजारों पैसेंजर्स को परेशानी झेलनी पड़ी. इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि जब मार्केट में लिमिटेड एयरलाइंस होती हैं, तो उसका सीधा असर पैसेंजर पर ही पड़ता है.
इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने भारतीय फ्लायर्स को ज्यादा विकल्प मुहैया कराने के लिए अपनी कवायद तेज कर दी है. इसी हफ्ते मंत्रालय ने दो प्रस्तावित एयरलाइंस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी किया है, इनमें अल हिंद एयर और फ्लाइएक्सप्रेस का नाम शामिल है. इससे पहले मंत्रालय शंख एयर को भी एनओसी जारी की जा चुकी है.
एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पिछले एक हफ्ते में उन्होंने कई नई एयरलाइंस की टीम्स से मुलाकात की है, जो भारतीय आसमान में टेक-ऑफ करने की तैयारी कर रही हैं. एविएशन मिनिस्टर के मुताबिक, मिनिस्ट्री का लगातार यही प्रयास रहा है कि भारतीय एविएशन सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा एयरलाइंस को एंकरेज किया जाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट की पॉलिसीज की वजह से भारत आज दुनिया के फास्टेस्ट ग्रोइंग एविएशन मार्केट्स में शामिल है. उड़ान स्कीम जैसे इनिशिएटिव्स ने स्टार एयर, भारत वन एयर और फ्लाइ91 जैसी स्मॉलर कैरियर्स को रीजनल कनेक्टिविटी में अहम रोल निभाने का मौका दिया है. इस सेक्टर में आगे भी ग्रोथ की काफी स्कोप मौजूद है. – राम मोहन नायडू, सिविल एविएशन मिनिस्टर
मुश्किल है एयरलाइन को एयरबॉर्न बनाए रखना
एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ नई एयरलाइंस को अप्रूवल देना ही काफी नहीं है. भारतीय एविएशन इकोसिस्टम में एयरलाइंस के लिए ऑपरेटिंग कॉस्ट दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसकी सबसे बड़ी वजह हाई जेट फ्यूल प्राइसेज और भारी टैक्स स्ट्रक्चर है. एक सीनियर एविएशन ऑब्जर्वर के मुताबिक, भारतीय एविएशन इकोसिस्टम में एयरलाइंस को छोड़कर लगभग सभी स्टेकहोल्डर्स पैसे कमाते हैं. यही वजह है कि पिछले तीन दशकों में हमने बार-बार एयरलाइंस को कोलैप्स होते देखा है.
उन्होंने कहा कि नई एयरलाइन लॉन्च करना तो पॉसिबल है, लेकिन उसे लंबे समय तक एयरबॉर्न बनाए रखना बहुत बड़ा चैलेंज होता है. हाई कॉस्ट स्ट्रक्चर, टैक्स, मैनेजमेंट बैंडविड्थ की कमी और थिन फंडिंग इसकी बड़ी वजहें हैं. इंडस्ट्री ऑफिशियल्स यह भी मानते हैं कि एयरलाइन की असफलता सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, यह एक ग्लोबल फेनॉमेनन है. लेकिन भारत में एक्स्ट्रा कंसर्न यह है कि यहां एयरलाइंस के लिए एनवायरमेंट काफी कॉस्ट-होस्टाइल है.
5 प्वाइंट्स में समझें पूरी बात
इंडिगो शेड्यूल कोलैप्स से ड्यूपॉली की कमजोरी उजागर: हाल ही में इंडिगो एयरलाइन का फ्लाइट शेड्यूल कोलैप्स होने से हजारों पैसेंजर्स प्रभावित हुए, जिससे यह साफ हो गया कि इंडियन एविएशन में ड्यूपॉली होने पर यात्रियों के पास लिमिटेड चॉइसेज ही बचती हैं. एविएशन मिनिस्ट्री ने नए एयरलाइंस को दिया एनओसी: इसी स्थिति को देखते हुए एविएशन मिनिस्ट्री ने कॉम्पिटिशन बढ़ाने के लिए दो प्रपोज़्ड एयरलाइंस अल हिंद एयर और फ्लाइएक्सप्रेस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी किया, जबकि शंख एयर को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
