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MOHAN BHAGWAT STATEMENT : मोहन भागवत ने रिटायरमेंट पर तोड़ी चुप्पी, परिवार में 3 बच्चे पर जोर!

MOHAN BHAGWAT STATEMENT : Mohan Bhagwat breaks silence on retirement, stresses on 3 children in the family!

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस के 100 साल पूरे होने के अवसर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश की जनसंख्या, शिक्षा और संस्कृति पर अपने विचार साझा किए।

तीन बच्चे और जनसंख्या नीति

भागवत ने कहा कि प्रत्येक परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए। उनका कहना है कि इससे माता-पिता और बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहता है और देश की जनसंख्या नियंत्रित रहती है। उन्होंने भारत की जनसंख्या नीति का हवाला देते हुए बताया कि नीति में प्रति परिवार 2.1 बच्चों की बात की गई है, जिसका मतलब तीन बच्चे हैं।

अखंड भारत और शहरों के नाम

भागवत ने कहा कि ‘अखंड भारत’ केवल राजनीति नहीं बल्कि वास्तविकता है। उन्होंने शहरों और सड़कों के नामकरण पर कहा कि आक्रमणकारियों के नाम नहीं होने चाहिए, जबकि वीर अब्दुल हमीद और पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम लिए जा सकते हैं।

जातिगत आरक्षण

भागवत ने जातिगत आरक्षण पर संवेदनशीलता के साथ विचार करने की बात कही और कहा कि संविधान सम्मत आरक्षण का संघ समर्थन करता है।

शिक्षा और कला

उन्होंने पंचकोशीय शिक्षा में कला, खेल और योग के समावेश की वकालत की। भागवत के अनुसार, हर व्यक्ति को कला का ज्ञान होना चाहिए, लेकिन इसे बाध्यकारी नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने शिक्षा की मुख्यधारा को संस्कृत और गुरुकुल प्रणाली से जोड़ने पर जोर दिया।

संघ में कर्तव्य और सेवा

भागवत ने कहा कि संघ में कार्य का पालन करना प्राथमिक है। उन्होंने भैयाजी दाणी का उदाहरण देते हुए बताया कि स्वयंसेवकों को समय और समर्पण देना पड़ता है। उन्होंने महाकुंभ में न जाने पर भी स्पष्ट किया कि संघ के निर्देश के अनुसार ही कार्य किया जाता है।

भागवत ने अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि संघ में रिटायरमेंट का सवाल नहीं है, कार्य देने पर ही स्वयंसेवक कार्य करते हैं।

 

 

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