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रायपुर शिफ्ट किए जा रहे हैं महागठबंधन के विधायक, CM हेमंत सोरेन भी साथ

रायपुर : रांची से रायपुर जा रहे हैं यूपीए के विधायकसोरेन तो खुद भागने में लगे हैं- बाबू लाल मरांडीसोरेन कमाने और लूटने में लगे हुए हैं- मरांडी

महाराष्ट्र और बिहार के बाद अब झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को चिंता झारखंड की बेटी अंकिता या उसके परिवार की नहीं है बल्कि चिंता है अपनी कुर्सी की। सीएम सोरेन अपने विधायकों को झारखंड से ही बाहर भेज रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एयर लिफ्ट करने वाले हैं। बता दें कि UPA के 32 विधायकों को लेकर दो बस एयरपोर्ट पहुंच चुके हैं। विधायकों के साथ बस में सीएम हेमंत सोरेन भी साथ एयरपोर्ट गए। एयरपोर्ट पहुंचकर वह थम्स-अप साइन दिखा रहे हैं जैसे कि कुर्सी को अब तो बचा लिया। विधायकों का अगला ठिकाना रायपुर है। सोरेन की पूरी सरकार, सारे विधायक थोड़ी देर में चार्टर्ड फ्लाइट से छत्तीसगढ़ जाने वाले हैं।

रिसॉर्ट में 30 और 31 अगस्त के लिए कमरों की बुकिंग

रायपुर से मिली सूचना के अनुसार, वहां मेफेयर नामक रिसॉर्ट में 30 और 31 अगस्त के लिए कमरों की बुकिंग की गई है। रायपुर में बुक कराए गए रिसॉर्ट की सुरक्षा में आईपीएस और डीएसपी स्तर के दर्जन भर अधिकारियों की तैनाती की सूचना है। अफसरों की तैनाती को लेकर एसपी ने बकायदा पत्र भी जारी किया है। रिसॉर्ट के कमरों को दो दिन पहले ही खाली करा लिया गया था। यहां रह रहे मेहमानों को सोमवार को ही दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था।

इससे पहले विधायकों के साथ खूंटी गए थे सोरेन
इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के साथ शनिवार को अचानक खूंटी के लिए रवाना हो गए थे। सोरेन मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों एवं सभी विधायकों को तीन बसों में लेकर दोपहर लगभग दो बजे अपने आवास से निकले थे और खूंटी जिले के इस पर्यटन स्थल पर लगभग तीन घंटे रुकने और आनंद उठाने के बाद सभी शाम छह बजे वापस रांची के लिए रवाना हो गये थे।

विधानसभा में यूपीए के कुल 49 विधायक
झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में कुल 49 विधायक अपने हैं और उन्हें कुछ अन्य विधायकों का भी सरकार चलाने के लिए समर्थन प्राप्त है। राज्य विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं। इसके विपरीत मुख्य विपक्षी भाजपा के कुल 26 विधायक हैं और उसके सहयोगी आज्सू के दो विधायक हैं और उन्हें सदन में दो अन्य विधायकों को समर्थन प्राप्त है।

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में फंसे सोरेन
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है। चुनाव आयोग ने माइनिंग लीज केस में गवर्नर को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। गवर्नर को इस संबंध में आखिरी फैसला लेना है। मामले में याचिकाकर्ता बीजेपी है जिसने जन प्रतिनिधि कानून की धारा 9 ए का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित कोई मामला आता है तो इसे गवर्नर के पास भेजा जाएगा और उनका फैसला अंतिम होगा। इसमें कहा गया है, ‘ऐसे किसी भी मामले पर कोई निर्णय देने से पहले राज्यपाल निर्वचन आयोग की राय लेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे।’ ऐसे मामलों में चुनाव आयोग की भूमिका अर्द्धन्यायिक निकाय की तरह होती है।

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