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मंत्री सिंहदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर जीएसटी बैठक पर व्यक्त किए सुझाव

कोविड संक्रमित सिंहदेव जीएसटी काउंसिल की बैठक में नहीं हो पाएंगे उपस्थित
रायपुर। प्रदेश के जीएसटी मंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिखकर आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक पर अपने विचार व्यक्त किए। इस पत्र में  सिंहदेव ने लिखा कि वह इस जीएसटी काउंसिल की बैठक के लिए बहुत उत्सुक थे लेकिन दुर्भाग्य से इस माह की 25 तारीख को कोविड से संक्रमित हो जाने के कारण इस बैठक में हिस्सा लेने में असमर्थ हैं, इसके साथ ही  सिंहदेव ने पत्र के माध्यम से विनम्र अपील करते हुए लिखा कि इस पत्र को परिषद के समक्ष रखने की अनुमति दें और सुझावों को इस जीएसटी परिषद की बैठक के रिकॉर्ड में ले लिया जाए। सिंहदेव ने आगे लिखा है कि 14 प्रतिशत संरक्षित राजस्व का प्रावधान 30 जून 2022 से समाप्त हो जाएगा। इसे कम से कम 5 वर्षों तक जारी रखा जाना चाहिए, क्योंकि विशेष रूप से खनन और विनिर्माण राज्य, जो उपभोक्ता नहीं हैं, उनको बहुत अधिक राजस्व का नुकसान होता है। जिसमें उन्होंने 10 वस्तुओं का विवरण प्रस्तुत करते हुए वेट और जीएसटी के निम्नलिखित अंतर का उल्लेख किया है।
लौह और स्टील (वेट 1600 करोड़- जीएसटी 350 करोड) अंतर 1250 करोड़, कोयला (वेट 800 करोड – जीएसटी 200 करोड़ अंतर 600 करोड़, धान (वेट 590 करोड़ – जीएसटी 0) अंतर 590 करोड़, तेंदूपत्ता (वेट 110 करोड़ – जीएसटी 10 करोड़) अंतर 100 करोड़, एल्यूमीनियम (वेट 19 करोड़- जीएसटी 5 करोड़) अंतर 14 करोड़, मदिरा (वेट 18 करोड़- जीएसटी 0) अंतर 18 करोड़, किराना (वेट 15 करोड़ – जीएसटी 25 करोड़) अंतर 10 करोड़, टिंबर (वेट15 करोड़- जीएसटी 20 करोड़) अंतर 5 करोड़,खाद्य तेल (वेट 55 करोड़ – जीएसटी 12 करोड़) अंतर 43 करोड़, ट्रैक्टर (वेट 25 करोड़ – जीएसटी 12 करोड़) अंतर 13 करोड़। सिंहदेव ने आगे लिखा कि जीएसटी के तहत राज्य को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2,786 करोड़, 2019-20 में 3,176 करोड़, 2020-21 में 3,620 करोड़, 2021-22 में 4,127 करोड़ का भारी राजस्व नुकसान हुआ, जिसे उपकर प्रावधान के माध्यम से मुआवजा देने के लिए प्रदान किया गया था। यदि हमें भारत की एक प्रभावी संघीय इकाई के रूप में कार्य करना है, तो राजस्व के ऐसे नुकसान के साथ सामाजिक क्षेत्र में पूंजी शीर्ष विकास, रोजगार और निवेश का निवेश करना असंभव होगा, जिसकी भरपाई नहीं की जाती है।श्री सिंहदेव ने लिखा कि उपरोक्त कारणों से हम 14 प्रतिशत संरक्षित राजस्व प्रावधान को जारी रखने के लिए जीएसटी परिषद में प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि सुरक्षात्मक राजस्व प्रावधान जारी नहीं रखा जाता है तो सीजीएसटी और एसजीएसटी के लिए 50 प्रतिशत फॉर्मूला को एसजीएसटी 80-70 प्रतिशत और सीजीएसटी 20-30 प्रतिशत में बदल दिया जाना चाहिए। संविधान के अक्षर और आत्मा हमारे देश के संघीय ढांचे को स्पष्ट रूप से बताता है। यदि राज्य सरकार अपने नागरिकों की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ है तो सभी राज्य सरकारों के लिए मजबूत और स्वतंत्र वित्तीय संसाधनों के बिना हमारे संविधान में वर्णित संघीय संरचना निरर्थक हो जाएगी। उन्होंने आगे लिखा है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जीएसटी परिषद की प्रकृति, शक्तियों और दायरे के बारे में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है कि जब तक हम जीएसटी परिषद में इसके सदस्य के रूप में एकतरफा रूप से भारत में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए तर्कसंगत राजस्व प्राप्ति के माध्यम से वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित नहीं करते हैं, तब तक जिस अवधारणा के लिए जीएसटी परिषद को रखा गया था, वह अस्थिर प्रतीत हो सकती है।

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