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शानदार चार साल….भूपेश सरकार ने पूरे किये अपने 4 साल, लेकिन राह नहीं थी आसान, आई कई मुश्किलें, जानें छत्तीसगढ़ में कैसा रहा कांग्रेस सफर…

रायपुर। छत्तीसगढ़ ग्रामीण आदिवासी बहुल राज्य है। यहां की लोक संस्कृति हो या सुदूर वनांचल बस्तर-सरगुजा की जीवनशैली या फिर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती बरबस ही सबके मन को मोह लेती है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने शानदार पारी के 48 माह पूरे कर लिए हैं। वैसे जानने वाले कहते हैं कि वे वादों के पक्के हैं, उनमें जुनून और जज्बा जबरदस्त है, जो कहते हैं, वे करते भी हैं। छत्तीसगढ़ के इतिहास में 17 दिसम्बर 2018 स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुका है। स्वर्ण अक्षरों में इसलिए क्योंकि राज्य बनने के बाइस बरस बाद पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले किसान पुत्र भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण के तत्काल बाद उनके मंत्रिमण्डल सहित पूरे काफिले का रूख नया रायपुर स्थित प्रदेश के सबसे बड़े प्रशासनिक केन्द्र यानी महानदी भवन, मंत्रालय की ओर हुआ था और यहीं से शुरू हुआ आदिवासी हितों के लिए गहन विचार-विमर्श का सिलसिला। यहां सबसे पहले बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा के किसानों की इस्पात संयंत्र के लिए अधिगृहीत की गई जमीन वापस करने का निर्णय लिया गया। सरकार बनाने के महज दो माह के भीतर 16 फरवरी 2019 को 1707 किसानों की 4200 एकड़ जमीन के दस्तावेज उन्हें लौटा दिए गए। निर्णय और न्याय दो रास्ते को चुनते हुए भूपेश सरकार ने 12 लाख से अधिक तेन्दूपत्ता संग्राहकों को सौगात देते हुए तेन्दूपत्ता संग्रहण दर पच्चीस सौ रूपए से बढ़ाकर चार हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया। चालू वर्ष 2022 के दौरान करीब 18 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है जो लक्ष्य से 94 प्रतिशत से अधिक है। वहीं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी की प्रजातियों को 7 से बढ़ाकर 65 किया जा चुका है।

स्कूल से लेकर स्वास्थ्य तक में हुए काम

मुख्यमंत्री के कार्यकाल का बड़ा फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था रहा है। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कई दफा ये बातें कही है कि किसान के जेब में पैसा रहेगा तो अर्थव्यवस्था का पूरा सर्किल चलता रहेगा। लिहाजा नरवा, गुरवा, बाड़ी पर फोकस कर कई योजनाए शुरू की गयी, जिनसे गांव, गौठान और ग्रामीण समृद्ध हुए। हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए स्वामी आत्मानंद स्कूल खोले जा रहे हैं। हाट बाजार क्लिनिक योजना का विस्तार कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही है। जेनरिक दवा दुकानों से लोगों को 72 फीसदी तक कम कीमत में दवाइयां मिल रही है। कुपोषण में हम 7 फीसदी कमी आयी है। बस्तर और सरगुजा में भी कुपोषण का दर काफी कम हुआ है।

हर वर्ग का रखा ख्याल

छत्तीसगढ़ में नई उद्योग नीति से राज्य में नया औद्योगिक और आर्थिक वातावरण बना है। तीन सालों में राज्य में 1564 नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं। औद्योगिक क्षेत्र में 18 हजार 882 करोड़ रूपये की पूंजी निवेश से राज्य की तस्वीर बदली है। आम लोगों को लगातार बढ़ती महंगाई के दौर में सस्ती दवाओं के माध्यम से राहत देने की योजना भूपेश सरकार ने लागू की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह सस्ती जेनेरिक दवाओं के लिए श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना शुरू की। इस मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवाएं 50 से 70 फीसदी सस्ते दामों पर मिल रही है। बिजली बिल में रियायत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गयी हाफ बिजली बिल योजना से निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को काफी राहत मिली है। 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी का लाभ 40 लाख उपभोक्ताओं को पहुंचा है। छत्तीसगढ़ में नजर आ रही बदलाव के बयार से समझ आता है कि इन योजनाओं के जरिये भूपेश सरकार निश्चित तौर पर जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रही है।

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