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गाय-भैसों को बेमौत मार रहा लंपी वायरस, क्या इंसानों के लिए भी है खतरा?

नई दिल्ली : देश में लंपी वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है. कई राज्यों में लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. उत्तर प्रदेश-राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक ये वायरस तेजी से फैल रहा है. सबसे ज्यादा खराब हालत राजस्थान की है. राजस्थान में अब तक लंपी वायरस से 45 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी हैं. जबकि, 10 लाख से ज्यादा इस वायरस की चपेट में आ चुकीं हैं. राजस्थान के रेगिस्तान कब्रिस्तान बनते जा रहे हैं. हजारों की संख्या में गायों को दफनाया जा रहा है.

लंपी वायरस से संक्रमित होने पर शरीर पर दाने निकल आते हैं, बुखार आता है. इस वायरस का इलाज है. लेकिन कई मामलों में स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि मौत हो जाती है. लंपी वायरस या लंपी स्किन डिसीज कोई नई बीमारी नहीं है. समय-समय पर इसका प्रकोप देखने को मिलता रहता है. एक महीने से भारत में लम्पी वायरस का कहर दिख रहा है.

क्या है लंपी वायरस?

ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइजेशन (GAVI) के मुताबिक, लंपी स्कीन डिसीज जिस वायरस के कारण होती है, उसका नाम Capripoxvirus है. ये बीमारी गायों और भैसों को होती है. ये वायरस गोटपॉक्स (Goatpox) और शिपपॉक्स (Sheepox) फैमिली का है. लम्पी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलता है.

क्या हैं इसके लक्षण?

लंपी वायरस से संक्रमित होने के दो से तीन के भीतर हल्का बुखार आता है. इसके बाद पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं. कुछ दाने घाव में भी बदल जाते हैं. इसके अलावा संक्रमित जानवर की नाक बहती है, मुंह से लार आती है, दूध देना कम हो जाता है. अगर कोई गर्भवती गाय या भैंस संक्रमित हो गई है, तो उसे मिसकैरेज होने का खतरा बढ़ जाता है. आमतौर पर 2 से 3 हफ्ते में संक्रमण ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इससे मौत भी हो सकती है. इस वायरस का मोर्टिलिटी रेट 1 से 5% है.

किन राज्यों में संक्रमण बेकाबू?

2019 में भी भारत में लंपी वायरस का कहर देखने को मिला था. इस साल गुजरात से लंपी वायरस का प्रकोप फिर फैल गया. अब तक कई राज्यों में लंपी वायरस फैल चुका है.सबसे ज्यादा खराब हालत राजस्थान की है. उत्तर प्रदेश में 15 हजार से ज्यादा मवेशी इससे संक्रमित हैं और सैकड़ों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र में 22 गायों की मौत हो चुकी है. मध्य प्रदेश के इंदौर में 5 गायें इससे संक्रमित मिली है. गुजरात, राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में भी कई मवेशी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं.

क्या इंसानों को भी है खतरा?

ऐसा माना जाता है कि अगर कोई जानवर किसी वायरस से संक्रमित है, तो उससे ये संक्रमण इंसानों में भी फैल सकता है. लेकिन लंपी वायरस के मामले में ऐसा नहीं है. अब तक इंसानों के लम्पी वायरस से संक्रमित होने के सबूत नहीं मिले हैं. अगर संक्रमित मवेशियों के आसपास भी इंसान रहते हैं, तो भी उनके संक्रमित होने का खतरा कम है.

मवेशियों को कैसे बचाएं?

मवेशियों के वायरस से संक्रमित होने से दूध के उत्पादन पर इसका खासा असर पड़ता है. क्योंकि वायरस से संक्रमित मवेशी के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. अगर कोई गाय या भैंस में वायरस के लक्षण दिखते हैं तो उसे तुरंत आइसोलेट कर देना चाहिए, ताकि दूसरे मवेशियों तक संक्रमण न फैले. इसके अलावा मवेशियों के आसपास मच्छर या दूसरी तरह के खून चूसने वाले कीट-पतंगों को आने से रोकने के उपाय करने चाहिए, क्योंकि इन्हीं के जरिए मवेशी संक्रमित हो रहे हैं. अगर किसी गाय या भैंस की इस संक्रमण से मौत हो जाती है तो उसे जमीन में काफी गहराई तक दफना देना चाहिए.

क्या है इसका इलाज?

लंपी वायरस के संक्रमण से दो से तीन हफ्ते में ठीक हुआ जा सकता है. संक्रमित होने के बाद 5 से 7 दिन तक एंटी-बायोटिक देकर इसका इलाज किया जा सकता है. इसके अलावा इसकी वैक्सीन भी है. पिछले हफ्ते ही लंपी वायरस की स्वदेशी वैक्सीन Lumpi-ProVacInd लॉन्च हुई है. दावा है कि ये वैक्सीन 100% असरदार है.

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