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LOK SABHA ELECTION 2024 : गांधी परिवार के गढ़ में किशोरी लाल शर्मा साबित होंगे गेम चेंजर ? जानिए इनका पॉलिटिकल इतिहास

LOK SABHA ELECTION 2024: Will Kishori Lal Sharma prove to be a game changer in the stronghold of Gandhi family? Know their political history

अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस समाप्त हो गया है. कांग्रेस ने गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट से सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को टिकट देने का ऐलान किया है. केएल शर्मा पिछले तीन-चार दिनों से अमेठी में डेरा डाले हुए हैं और वह नामांकन की तैयारियों को लेकर बैठक पर बैठक कर रहे थे.

लंबे समय से कांग्रेस और उसके चुनाव मैनेजमेंट से जुड़े रहे किशोरी लाल शर्मा के सामने गांधी परिवार का खोया गढ़ वापस पाने की चुनौती होगी. शर्मा के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मजबूत चुनौती है. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने नन्हें सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है.

फिलहाल, इस सीट से स्मृति ईरानी सांसद हैं. स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हराया था.

कैसे रहे थे 2019 के नतीजे?

2019 के लोकसभा चुनाव में लगातार तीन बार के सांसद राहुल गांधी चौथी बार अमेठी सीट से मैदान में थे. राहुल के सामने बीजेपी ने 2014 चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया था. स्मृति ईरानी को तब 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे. राहुल गांधी 4 लाख 13 हजार 394 वोट ही हासिल कर सके. स्मृति ईरानी ने अमेठी के कांग्रेसी दुर्ग में कमल खिला दिया था. इस बार फिर से बीजेपी ने अमेठी सीट से स्मृति ईरानी को ही टिकट दिया है. कांग्रेस अपना खोया गढ़ वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है तो वहीं स्मृति ईरानी भी लगातार दूसरी जीत की तलाश में हैं.

अमेठी के सामाजिक समीकरण

अमेठी लोकसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां सबसे अधिक आबादी ओबीसी वर्ग की है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र में करीब 34 फीसदी ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं. मुस्लिम वर्ग के 20, दलित वर्ग के मतदाताओं की तादाद करीब 26 फीसदी है. अनुमानों के मुताबिक यहां करीब आठ फीसदी ब्राह्मण, करीब 12 फीसदी राजपूत मतदाता होने के अनुमान हैं. 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे थे और इस गठबंधन ने अमेठी सीट से उम्मीदवार नहीं उतारा था. इस बार बसपा के चुनाव में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

अमेठी सीट का चुनावी अतीत

साल 1967 के आम चुनाव से अस्तित्व में आई अमेठी सीट से 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने चुनाव लड़ा. इमरजेंसी विरोधी लहर में संजय गांधी हार गए थे. कांग्रेस के संजय को जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने हरा दिया था. संजय गांधी 1980 में इस सीट से फिर मैदान में उतरे और रवींद्र को हराकर संसद पहुंचे. संजय गांधी की मौत के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में राजीव गांधी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और जीते. 1984 में इस सीट पर गांधी परिवार के दो सदस्य आमने-सामने थे- राजीव गांधी और मेनका गांधी. राजीव ने बड़ी जीत के साथ सीट बरकरार रखी.

1998 और 2019 में खिला कमल

साल 1989 के चुनाव में भी राजीव गांधी इसी सीट से संसद पहुंचे. राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कैप्टन सतीश शर्मा सांसद निर्वाचित हुए और 1996 के चुनाव में भी सीट बरकरार रखी. साल 1998 के लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर कमल खिला. बीजेपी के डॉक्टर संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश को 23 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. 1999 में इस सीट से कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनावी डेब्यू किया और जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं.

कांग्रेस ने 2004 में इस सीट से सोनिया की जगह राहुल गांधी को उतारा. राहुल गांधी 2004 से 1014 तक, अमेठी सीट से लगातार तीन चुनाव जीतकर संसद पहुंचते रहे लेकिन 2019 में तस्वीर बदल गई. 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को हराकर अमेठी में दूसरी बार कमल खिला दिया.

स्मृति ईरानी तोड़ पाएंगी ट्रेंड?

स्मृति ईरानी की नजर 1998 का ट्रेंड तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने वाली अमेठी से बीजेपी की पहली सांसद बनने पर है. वहीं, कांग्रेस को 1999 के नतीजे दोहराते हुए हारी सीट फिर जीत लेने की उम्मीद है. कांग्रेस ने 1998 में हारे उम्मीदवार की जगह नए चेहरे पर दांव लगाया था. पार्टी ने इस बार भी वही फॉर्मूला दोहराया है. ऐसे में देखना होगा कि स्मृति पुराना ट्रेंड तोड़ पाएंगी या केएल शर्मा गांधी परिवार का खोया गढ़ कांग्रेस पार्टी की झोली में डाल देते हैं.

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