रायपुर, 9 दिसंबर। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से बर्खास्त किए गए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाहिद अली की याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने इन्फ्रैक्चस मानते हुए बंद कर दिया। यह याचिका उन्होंने जून 2023 में विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा की गई बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए दायर की थी।
विश्वविद्यालय का पक्ष
सूक्ष्म जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने पाया था कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र और दावे सही नहीं थे। इसी आधार पर उन्हें 2005 में एडहॉक नियुक्ति और 2009 की नियमित नियुक्ति को चुनौती मिलने के बाद, कार्यकारी परिषद ने 2023 में बर्खास्त कर दिया था।
कार्यकारी परिषद ने इस बैठक में यह भी तय किया था कि वर्ष 2005 की नियुक्ति में प्रस्तुत दस्तावेजों को लेकर शाहिद अली और संजय द्विवेदी के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए। हालांकि पिछले ढाई वर्ष में इस दिशा में विश्वविद्यालय कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है।
हाईकोर्ट की हालिया प्रक्रिया के बाद विश्वविद्यालय का बर्खास्तगी आदेश और मजबूत माना जा रहा है।
डॉ. शाहिद अली ने खबर को बताया तथ्यहीन, किया खंडन
हाईकोर्ट की कार्यवाही के बाद प्रकाशित समाचार को लेकर डॉ. शाहिद अली ने संपादक को भेजे पत्र में कड़े शब्दों में आपत्ति जताई है।
उनके अनुसार –
1. याचिका को “इन्फ्रैक्चस” घोषित करना अदालत का निर्णय नहीं, बल्कि उनके ही अधिवक्ता का अनुरोध
उन्होंने कहा कि उनके ही वकील ने कोर्ट को सूचित किया था कि मामले से जुड़ी अन्य कानूनी प्रक्रियाएं आगे बढ़ चुकी हैं। इसलिए पिटीशन आगे नहीं बढ़ाई जा सकती, और इसी वजह से अदालत ने इसे इन्फ्रैक्चस घोषित किया। “यह किसी भी दोषसिद्ध निर्णय पर आधारित नहीं था,” उन्होंने कहा।
2. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही मेरे पक्ष में निर्णय दे चुके – सेवाएं पुनर्स्थापित
उनका दावा है कि विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में बहाली का शपथपत्र भी प्रस्तुत किया है और वे वर्तमान में सेवा में हैं। ऐसे में किसी भी विपरीत कार्यवाही को वे माननीय सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताते हैं।
3. बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने कभी मुहर नहीं लगाई
उन्होंने कहा कि समाचार में किया गया यह दावा गलत है और न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है।
4. सूक्ष्म जांच समिति की कार्रवाई नियमविरुद्ध
शाहिद अली के अनुसार, विश्वविद्यालय की सूक्ष्म जांच समिति की कार्यवाही अधिनियमों के विपरीत थी, इसलिए अन्य किसी शिक्षक पर कार्रवाई नहीं की गई।
5. अनुभव प्रमाण पत्र वैध
उन्होंने कहा कि उनके सभी अनुभव प्रमाणपत्रों की वैधता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों स्वीकार कर चुके हैं।
6. दुष्प्रचार का आरोप
शाहिद अली ने कहा कि कुछ तत्व उनके खिलाफ झूठी खबरें फैला रहे हैं और समाचार प्रकाशित करने से पहले तथ्य सत्यापित किए जाने चाहिए।
दोनों पक्षों के बयानों के बाद भी मामला विवादों में –
जहां विश्वविद्यालय का कहना है कि जांच में प्रमाण पत्र विश्वसनीय नहीं पाए गए, वहीं शाहिद अली दावा कर रहे हैं कि न्यायालयों ने उनके पक्ष में निर्णय दिया है और वे सेवा में हैं। हाईकोर्ट की हालिया प्रक्रिया को लेकर भी दोनों पक्षों की अपनी–अपनी व्याख्या है. मामले की अगली कानूनी स्थिति आगामी कार्यवाहियों पर निर्भर करेगी।
शिकायतकर्ता आशुतोष मिश्रा के सवाल
इन्फ्रैक्चस पाते हुए बंद कर दी गई है.. लिखा है यानि डिस्मिस या बंद।
विश्विद्यालय में सेवाएं कब से पुनर्स्थापित है इसका प्रमाण दिखाएं। सैलरी क्रेडिट पिछले 3 माह का, सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन यदि फेवर में है तो उसके आधार पर आपकी यूनिवर्सिटी में ज्वाइनिंग।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का प्रमाण दें कि उसने आपकी जॉब को कंटिन्यू किए जाने का स्पष्ट उल्लेख किया है
हाई कोर्ट में आपके उपरोक्त केस जिसका निर्णय 3 दिसंबर को इन्फ्रैक्चस के रूप में आया है तो आपकी यथास्थिति बर्खास्तगी की ही हुई जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आपको कोई रिलीफ नहीं मिलने के रूप में हुआ है।
सूक्ष्म जांच समिति की रिपोर्ट के बाद आपको 2023 में बर्खास्त किया गया था। एक्जीक्यूटिव काउंसिल जून 2023, हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश, ऑब्जर्वेशन के वे अंश शेयर करें जो आपके प्रमाण पत्रों को वैध बता रहे हैं।
