चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चुनाव जनवरी तक टल गए। पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने अध्यक्ष अमर पारवानी को हटाने के लिए भरपूरकोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।
बताते हैं कि श्रीचंद सुंदरानी को भाजपा नेताओं का ही नहीं मिल पा रहा है। विधानसभा चुनाव में उनकी गतिविधियों को लेकर शिकायतेंहुई थी। इसके बाद से संगठन के प्रमुख नेता उन्हें महत्व नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने रजिस्ट्रार दफ्तर में शिकायत कर चैम्बर में संविधान संशोधन को चुनौती दी थी लेकिन वहां भी उन्हें कोई महत्व नहीं मिला। श्रीचंदकई बार सांसद बृजमोहन अग्रवाल से मिल चुके हैं लेकिन वो व्यापारियों के चुनाव में रूचि लेते नहीं दिख रहे हैं। कुल मिलाकर हर जगहपारवानी, श्रीचंद पर भारी नजर आ रहे हैं।
असामाजिक तत्व को वाय श्रेणी सुरक्षा!!
बीजापुर में कलेक्टर अनुराग पाण्डेय से धमकी–चमकी करने वाले भाजपा नेता अजय सिंह के डेढ़ दर्जन से अधिक अपराधिक प्रकरणदर्ज हैं। इनमें हत्या के प्रयास,जुआ एक्ट और छेड़छाड़ के भी प्रकरण हैं।
यही नहीं, सरकार ने उसे वाय श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है। अजय सिंह पर सरकारी दफ्तरों में अफसरों को धमकाने भी शिकायतें हैं।अजय सिंह पहले कांग्रेस में था। बाद उसे बाहर का रास्ता दिखाया गया। फिर भाजपा नेताओं से नजदीकियां बढ़ाकर वाय श्रेणी सुरक्षालेने में कामयाब हो गया।
बताते हैं कि अजय सिंह के भाजपा के एक पूर्व मंत्री के साथ ही कुछ प्रभावशाली लोगों से अच्छे ताल्लुकात बना लिए हैं। सबसे खराबबात यह रही कि कलेक्टर से धमकी–चमकी का आडियो वायरल होने के बाद अजय सिंह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ और उल्टेकलेक्टर का ट्रांसफ़र हो गया।
इसकी कड़ी प्रतिक्रिया हो रही है। कुछ लोगों ने पार्टी हाईकमान को तबादले के पीछे के खेल से अवगत कराया है। स्थानीयआदिवासियों में काफी नाराजगी देखी जा रही है और यह मामला आने वाले दिनों तूल पकड़ता दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ में अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली
सरकार पुलिस प्रशासन में कसावट लाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करनेजा रही है। यह प्रणाली महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों बेहतर ढंग से चल रही है।
अभी छोटे–बड़े 33 जिले हो चुके हैं। मगर रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और बस्तर में पुलिस कमिश्नर बिठाए जा सकते हैं। आईजी स्तर केअफसर को कमिश्नर बनाया जा सकता है।इस पर तेजी से काम चल रही है। अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन किया जा रहा है।संभावना जताई जा रही है कि महीने भर इस निर्णय हो सकता है।
भाजपा में असंतुष्ट गतिविधियों पर नजर
भाजपा में असंतुष्ट गतिविधियां तेज हो गई है। कैबिनेट विस्तार में देरी की वजह से भी असंतोष उभरा है।
ऐसा नहीं है कि पार्टी नेतृत्व को इसकी जानकारी नहीं है। बताते हैं कि असंतुष्ट गतिविधियों पर एक डिटेल रिपोर्ट हाईकमान को भेजीगई है
अंदर की खबर यह भी है कि असंतुष्ट नेता भी अब बेपरवाह नजर आ रहे हैं। उन्हें अब इस बात की फ्रिक नहीं रह गई है कि पार्टी उनकेबारे में क्या सोचती है। कुछ लोगों का मानना है कि बहुत जूनियर नितिन नबीन को प्रदेश प्रभारी बनाकर एक बड़ी चूक कर दी है।
नबीन में कोई खामी नहीं है। वो मिलनसार हैं और सबसे अच्छे संबंध हैं। मगर असंतुष्ट नेता उनसे सम्मानजनक दूरी बनाए हुए हैं।जूनियर होने की वजह से ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। हाईकमान जल्द ही असंतुष्टों को मनाने की दिशा में कोईकदम नहीं उठाता है, तो इसका आगामी चुनावों में असर दिखाई पड़ सकता है।
कांग्रेस में खींचतान
कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं है। राजनांदगांव चुनाव में हार के बाद से भूपेश बघेल की पार्टी के भीतर हैसियत घटी है। बची–खुचीकसर विरोधियों ने पूरी कर दी है।
भूपेश विरोधी नेता,वीरप्पा मोइली कमेटी को यह समझाने में कामयाब रहे कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार के लिए भूपेशबघेल ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। हालांकि मोइली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हाईकमान को नहीं सौंपी है, लेकिन कुछ नेताओं से अनौपचारिकचर्चा में भूपेश विरोधियों से सहमत दिखे हैं। फिलहाल तो रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है और इसके बाद हाईकमान क्या कदम उठाता है, यह देखना है। मगर एक बात तो तय है कि प्रदेश संगठन में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत की दखल बढ़ेगी।
जुनेजा के खिलाफ शिकायत का क्या?
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग से मिलकर डीजीपी अशोक जुनेजा को हटाने की मांग की थी। प्रदेशभाजपा के कार्यालय मंत्री नरेशचंद्र गुप्ता तो जुनेजा के खिलाफ काफी मुखर थे। आयोग ने इस शिकायत पर राज्य सरकार से पत्रव्यवहार भी किया था। मगर भाजपा सरकार बनने के बाद जुनेजा और पावरफुल हो गए। यही नहीं, भाजपा सरकार के प्रस्ताव परजुनेजा को छह माह का एक्सटेंशन दे दिया। अब भाजपा नेताओं को सफाई देते नहीं बन रहा है।