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KHABAR CHALISA SPECIAL तिरछी नजर : रायपुर दक्षिण पर दिल्ली में मंथन

KHABAR CHALISA SPECIAL Sneak peek: Churning in Delhi on Raipur South

रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव संभवत: अक्टूबर में होंगे। इसके बाद ही नगरीय निकायों के चुनाव होंगे। भाजपा में शीर्ष स्तर परउपचुनाव को लेकर मंथन हुआ है। सीएम विष्णुदेव साय पिछले दिनों दोनों डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा के साथ दिल्ली मेंथे। वित्तमंत्री .पी. चौधरी भी पहुंच गए थे  लेकिन पार्टी नेतृत्व ने साय को बुलाकर अकेले में चर्चा की।

पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ साय की बैठक हुई। इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने साय के साथ अलग सेबैठक की। चर्चा है कि दोनों ही नेताओं ने साय से प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की  है। यह भी संकेत दिया है किउपचुनाव के नतीजे अनुकूल नहीं रहे तो नगरीय निकाय चुनाव पर असर पड़ेगा। क्योंकि हाल के उपचुनावों में भाजपा को बुरी हार कासामना करना पड़ा है। इन सब वजहों से पार्टी नेतृत्व आगामी चुनावों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।

रायपुर दक्षिण की बात करें तो प्रदेश में बृजमोहन अग्रवाल सबसे ज्यादा 67 हजार वोट से जीते थे। यह एक रिकार्ड है लेकिन कांग्रेसजिस तरह  हाल के दिनों में चुनाव को लेकर सक्रियता दिखा रही है उससे यहां  कड़े मुकाबले के आसार दिख रहे हैं। ये अलग बात है किसाय की साख अबतक बहुत अच्छी  बनी हुई है। लेकिन व्यापारियों में नाराजगी और कानून व्यवस्था के मसले पर पुलिस की विफलतासे सरकार बैकफुट पर आती दिख रही है। इन सबके बीच भाजपा के प्रदेश महामंत्री पवन साय ने बृजमोहन अग्रवाल के साथ अकेले मेंबैठक की है। सत्र निपटने  के बाद सीएम साय, बृजमोहन और अन्य नेताओं के साथ अलग से बैठक करेंगे। कुल मिलाकर भाजपा यहांलीड को  बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। फिलहाल तो रायपुर दक्षिण का चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं दिखरहा है।

फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चा

सीएम विष्णुदेव साय की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात के बाद कैबिनेट विस्तार कीअटकलें लगाई जा रही है। कैबिनेट में दो पद खाली हैं और दावेदारों की सूची काफी लंबी है।

पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि एक मंत्री व्यापारी वर्ग अर्थात वैश्य समुदाय से हो सकता है। इसके लिए राजेश मूणत और अमरअग्रवाल का नाम चर्चा में है। इसी तरह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, गजेंद्र यादव, पुरंदर मिश्रा और लताउसेंडी सहित कई दौड़ में हैं। देखना है कि किनको मौका मिलता है। चर्चा यह है कि सत्र निपटने के बाद विस्तार हो सकता है।

उपनेता कौन?

कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत तो है लेकिन उपनेता की अबतक नियुक्ति नहीं हुई है। चर्चा है कि उपनेता का पद सामान्यवर्ग को दिया जा सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर सामान्य वर्ग के दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं। इसी बीच पूर्व मंत्री उमेशपटेल का नाम भी प्रमुखता से उछल रहा है।

कुछ नेता डोंगरगांव के विधायक दलेश्वर साहू को उपनेता बनाने के पक्ष में है। इसके  अलावा महिला वर्ग से  संगीता सिन्हा का नाम भीचर्चा में है। सामान्य वर्ग से दो नाम उभरकर सामने आए हैं उनमें अटल श्रीवास्तव और राघवेंद्र प्रताप सिंह का नाम चर्चा में है। दोनों हीपहली बार विधायक बने हैं। बस्तर से लखेश्वर बघेल और पूर्व मंत्री कवासी लखमा का नाम भी चर्चा में है। अब किनके नाम पर मुहरलगती है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।

राम नहीं, अब गोपाल चर्चा में

कांग्रेस सरकार में रामगोपाल अग्रवाल चर्चा में रहे हैं लेकिन भाजपा सरकार में इन दिनों गोपाल अग्रवाल  चर्चा में हैं। गोपाल अग्रवाल, सांसद बृजमोहन अग्रवाल के बड़े भाई हैं। वे आर.एस.एस. से जुड़े हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के प्रति लोगों की धारणाको सामने  ला रहे हैं।

गोपाल व्यापारियों की समस्या उठा रहे हैं और यह भी पूछ रहे हैं कि बिजली बिल की बढ़ोत्तरी पर आपकी राय क्या हैं? इन सबकी वजहसे गोपाल  के फालोअर की संख्या लगातार बढ़ रही है। ज्यादातर लोगों की राय सरकार के प्रति नकारात्मक दिख रही है। ऐसा नहीं हैकि गोपाल अग्रवाल, साय सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे है। वो रमन सरकार के खिलाफ भी मुद्दों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पररखते रहे हैं। चूंकि वो बृजमोहन अग्रवाल के भाई है और रायपुर दक्षिण में उपचुनाव होने जा रहे हैं इसलिए स्वाभाविक है कि अग्रवालपरिवार के सदस्यों पर लोगों की नजर ज्यादा है।

आत्मानंद स्कूलों का बुरा हाल

भाजपा सरकार में स्वामी आत्मानंद स्कूलों का  बुरा हाल है। यहां के  स्टाफ को वेतन के लाले पड़ गए हैं। जातेजाते स्कूल शिक्षामंत्रीबृजमोहन अग्रवाल ने खर्च को लेकर जांच की घोषणा कर दी थी। इसके बाद से समस्या और बढ़ गई है। यहां के स्टाफ के लिएडीएमएफ से आबंटन जारी होता है। कई जिलों में मामला अटक गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के जो शिक्षक जोड़तोड़ कर आत्मानंदस्कूलों में गए थे वो भी अब परेशान है। भूपेश सरकार के  महत्वाकांक्षी स्वामी आत्मानंद स्कूल को लेकर संसय की स्थिति बनी हुई है।स्वामी आत्मानंद स्कूल का नाम बदलने को लेकर पहले ही हल्ला है। स्कूल के  टीचरों को कई महीनों से वेतन नहीं मिले हैं। वेतन नहींमिलने के कई कारण गिनाये जा रहे हैं। स्कूल में अंग्रेजी की जगह हिन्दी माध्यम से पढ़ाई अभी गंभीरता से विचार हो रहा है। पूर्वशिक्षामंत्री और सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने स्वामी आत्मानंद स्कूल को लेकर कुछ घोषणोएं की थी वह भी ठंडे बस्ते में है। स्वामीआत्मानंद स्कूल के भविष्य को लेकर कई लोग चिंचित हैं।

साय सरकार सस्ते में देगी जमीन!

साय सरकार ने भूपेश सरकार के बनाए जमीन आबंटन के नियम को पलटकर कई संकेत दिए हैं। इसमें निशाने पर कुछ लोग है जोपिछली सरकार में बंदरबाट करने में सक्रिय थे। विष्णुसाय कैबिनेट के फैसले  के बाद अब सरकार जमीन आबंटन के नए नियमबनाएगी। तब तक  रमन सरकार के  बनाए गए नियम का पालन होगा। भूपेश सरकार में जमीन का रेट नीलामी या 155 प्रतिशत सेहोता था। भाजपा सरकार में जमीन आबंटन के दर सस्ता होने की संभावना है। जमीन आबंटन के  मामले में नेता और अधिकारी वैसे हीनहीं पडऩा चाहते है। इस सरकार में नए फैसले, नए नियम कब तक बनेगें इसको लेकर अलगअलग तरीके से चर्चा है।

और अंत में

पिछले फेरबदल में राज्य के एक  अधिकारी का तबादला चर्चा का विषय बना हुआ है। यह अधिकारी कौन है और तबादला क्यों होगया? पूछते है लोग

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