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KHABAR CHALISA SPECIAL तिरछी नजर: विधानसभा सत्र निपटने के बाद से कैबिनेट विस्तार की खबर उड़ रही है। टीवी चैनलों ने यहां तक खबर चलाई कि राजभवन में शपथ ग्रहण की तैयारी चल रही है। नए मंत्रियों के लिए गाड़ी तैयार कर ली गई है।
दुर्ग के विधायक गजेन्द्र यादव, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर,राजेश मूणत के अलावा किरण देव के नाम भी नए संभावित मंत्रियों के रूप में गिनाए जाने लगे।
और तो और राज्यपाल के बस्तर दौरे के निरस्त होने की कैबिनेट फेरबदल से जोड़कर देखा जाने लगा। मगर खबर यह है कि कैबिनेट विस्तार को पार्टी हाईकमान से अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। मकर संक्रांति के बाद इस पर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। लेकिन तब तक अफवाहों का बाजार गर्म रहेगा।
तबादले की सूची बन रही..
इसी सप्ताह बड़े प्रशासनिक फेरबदल होने की अटकलें लगाई जा रही है। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण व विपिन मांझी नये साल में पदोन्नत होकर सचिव बन जायेंगे। ऐसे में दोनों के तबादले होने की संभावना है। रायपुर और बिलासपुर कमिश्नर महादेव कावरे भी फेरबदल में प्रभावित हो सकते हैं। मंत्रालय में सचिव स्तर के दो अधिकारी रजत कुमार और राजेश सुकुमार टोप्पो को और काम मिलने की चर्चा है। मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध सिंह को कोई महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है। नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव के पहले कुछ जिलों में समन्वय नहीं होने की आ रही शिकायतों के चलते कुछ अफसरों को हटाए जा सकते हैं। ऐसे अफसरों की सूची बन रही है।
जीपी सिंह की राह
अदालती लड़ाई के बाद एडीजी जीपी सिंह की बहाली हो गई। यद्यपि उन्हें पीएचक्यू में अभी कोई काम नहीं मिला है। आईपीएस के 94 बैच के अफसर जीपी सिंह से पहले राजकुमार देवांगन,केसी अग्रवाल और एएम जूरी भी जबरिया रिटायर किए गए थे लेकिन अग्रवाल और जूरी अदालती लड़ाई के बाद सेवा में वापस आ गए। लेकिन जीपी सिंह की राह आसान नहीं थी।
कई लोग मान रहे थे कि राजद्रोह और उगाही जैसे गंभीर प्रकरण दर्ज होने के बाद जीपी सिंह शायद ही सेवा में वापस आ पाए, लेकिन तीन साल के भीतर उनके सारे दाग धुल गए। और फिर वर्दी में नजर आए।
पीएचक्यू में ज्वाइनिंग देने के तुरंत बाद डीजीपी से भी मिले। उनके बाद आईजी आरिफ शेख भी डीजीपी से मिले। जिनके एसीबी चीफ रहते जीपी सिंह पर कार्रवाई हुई थी। मगर अब सब कुछ सामान्य सा दिख रहा है।संभावना है कि नए साल में जीपी सिंह को पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन का जिम्मा दिया जा सकता है।
मौत के बाद बहाली!!
जीपी सिंह जैसे जबरिया रिटायर किए गए अफसर तो अदालती लड़ाई लड़कर सेवा में वापस आ गए, लेकिन तीन दशक पहले राजनांदगांव के मोहला मानपुर इलाके के थाने में नक्सलियों के आगे पस्त पड़े दर्जन भर पुलिस कर्मियों को अपनी बहाली के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे।उस समय टीआई समेत दर्जन भर से अधिक पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था। नक्सली थाने से हथियार लूटकर ले गए थे वहां तैनात पुलिस कर्मियों पर बुजदिली का आरोप लगा। यह घटना 1995 की है। तब रवि सिन्हा राजनांदगांव एसपी हुआ करते थे जो कि वर्तमान में देश की सर्वोच्च खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ हैं।
दूसरी तरफ,बर्खास्त पुलिस कर्मी अपने ऊपर लगे दाग को हटाने के लिए डेढ़ दशक तक कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते रहे। आखिरकार कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी को अनुचित ठहराया। और जब बहाल हुए, तब तक कुछ पुलिस कर्मी स्वर्ग सिधार चुके थे। कुछ पुलिस कर्मी जरूर अब सेवा आ चुके हैं लेकिन उन्हें न्याय काफी देर से मिला।
डॉ राज को बड़ी जिम्मेदारी?
वक्फ बोर्ड के चेयरमैन डॉ सलीम राज ने मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद राजनीतिक भाषण न हो, इसके लिए सख्त हिदायत देकर देश भर में चर्चा में आ चुके हैं।
नई खबर यह है भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई अहम पद पर बिठाने की सोच रहा है। डॉ राज किसी राष्ट्रीय संस्थान के मुखिया बन जाते हैं, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अगला बारी किसकी..
लंबे समय से केन्द्र सरकार की एजेंसियों के चलते जांच पड़ताल से कई कांग्रेसी घर बैठ गए हैं। कांग्रेस सरकार में पॉवरफुल रहे ऐसे दिग्गज नेताओं को लग रहा था कि अब केन्द्रीय एजेंसियों का ध्यान छत्तीसगढ़ की तरफ नहीं है। जांच पड़ताल लगभग पूरी हो गयी यह मान रहे थे। ऐसे में कवासी लखमा और उनके करीबी लोगों के यहां छापा पड़ऩे के बाद एक बार फिर कुछ चर्चित कांग्रेस नेता ठंडे पड़ सकते हैं। आगामी नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में खुलकर मैदान में आकर रणनीति बनाने वाले ऐसे कांग्रेसियों को एक बार फिर झटका लगा है। भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्र के अलावा राज्य सरकार के एजेंसियों के बीच गुपचुप जांच पड़ताल चल रही है। कब किस पर गाज गिर जाए, यह कहा नहीं जा सकता। अगला बारी किसकी है, देखना है।
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