
KHABAR CHALISA SPECIAL Side view: If there has been a deception, then there will be an account too.
सरकार में पिछले दिनों एक छोटा सा फेरबदल हुआ। फेरबदल में एक आईपीएस अफसर की भी बदली हो गई। सूची जारी हुई, तो आईपीएस का दर्द छलक गया। उन्होनें एक्स पर लिखा कि हानि हुई है, तो लाभ भी होगा और छल हुआ है तो उसका हिसाब भी होगा और जब इस पर प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई, तो उन्होनें अपना मैसेज डिलीट भी कर दिया। तब तक यह मैसेज कई जगहों तक पहुंच चुका था। इसको लेकर काफी चर्चा हो रही है।
जानकार लोग मानते हैं कि अफसर का दर्द वाजिब है। वो बेहतर काम कर रहे थे और फिर हटा दिया गया। अब अफसर छत्तीसगढ़ में काम करने के इच्छुक नहीं दिख रहे हैं। उन्होनें अपने कुछ करीबियों से इसका इजहार भी कर दिया है। आने वाले समय में अफसर की क्या प्रतिक्रिया होती है, इस पर भी नजरें टिकी हुई है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ ओ.पी. की मुहिम
वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त दिख रहे हैं। उन्होनें अपने विधानसभा क्षेत्र रायगढ़ में कुछ जगहों पर सभा में कह दिया कि मेरे नाम से कोई पैसा मांगे तो उसकी चप्पल से पिटाई करें। यही नहीं, जांच एजेंसी एसीबी-ईओडब्ल्यू और जीएसटी का अमला लगातार रायगढ़ इलाके में सक्रिय है।
ओ.पी. चौधरी ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। पहली बार रजिस्ट्री ऑनलाईन कर दी गई हैं। सुगम एप के जरिए घर बैठे जमीनों की रजिस्ट्रियां हो रही है। इससे बिचौलियों पर अंकुश लगा है। इसी तरह मास्टर प्लान में गड़बडिय़ों की जांच भी पूरी हो गई है। इसे ठीक करने की दिशा में काम हो रहा है। पूर्व आईएएस चौधरी के प्रशासनिक अनुभव से उनके विभागों में काफी हद तक पारदर्शिता भी आयी है।
हिसाब नहीं मिला, तो बोलचाल बंद
भाजपा में रायपुर के दो बड़े नेताओं के बीच बोलचाल बंद हो गई है। दोनों एक-दूसरे को देखना पसंद नहीं कर रहे हैं। दरअसल, विवाद विधानसभा चुनाव के समय का है। नेताजी चुनाव लड़ रहे थे तो दूसरे उनके संचालक बने हुए थे। पार्टी की तरफ से किस्तों में पांच सीआर प्रत्याशी नेता को उपलब्ध कराए गए थे।
बताते हैं कि यह राशि चुनाव संचालक के माध्यम से दी गई थी। चुनाव खत्म हो गया और नेताजी चुनाव जीतकर विधायक भी बन गए। अब हिसाब-किताब का दौर शुरू हुआ। चुनाव संचालक ने चार सीआर का हिसाब दे दिया। बाद में नवनिर्वाचित विधायक नेताजी को जानकारी मिली कि पार्टी ने पांच सीआर उपलब्ध कराए थे तो बाकी एक सीआर के बारे में उन्होनें पूछताछ की।
चुनाव संचालक नेताजी ने कह दिया कि उन्हें सिर्फ चार सीआर मिले थे। पार्टी के जिम्मेदार लोगों ने तिथिवार बता दिया कि पांच सीआर कब-कब और किस तिथि में दिये गए थे। इसके बाद विधायक महोदय ने पार्टी के लोगों से चुनाव संचालक की शिकायत भी की है। हाल यह है कि विधायक और चुनाव संचालक एक-दूसरे को देखना भी नहीं पसंद कर रहे हैं।
कैसे हो गई चूक
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के आगमन पर स्वागत के लिए भाजपा नेताओं में होड़ मची रही। रायपुर में राजभवन में 59 नेताओं को सूचीबद्ध किया गया था। मुलाकातियों में द्वितीय और तृतीय पंक्ति के नेता भी थे। मगर इसमें प्रदेश महामंत्री और सरगुजा संभाग के प्रभारी संजय श्रीवास्तव का नाम नहीं था। संजय राजभवन तो पहुंच गए लेकिन पता चला कि उनका नाम ही नहीं है। फिर उनका नाम जुड़वाने के लिए कोशिशें शुरु हुई।
जिला प्रशासन से लेकर सीएम हाउस और राजभवन तक प्रशासनिक अधिकारी, राष्ट्रपति के आने से पहले तक उनका नाम जुड़वाने के लिए प्रयास करते रहे। मगर राष्ट्रपति भवन से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। प्रदेश कार्यालय से तो उनका नाम भेजा गया था लेकिन नाम कहां जाकर कट गया, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। ये अलग बात है कि बाकी नेता राष्ट्रपति के साथ मुलाकात और फिर फोटो खिचवा कर खुशी का इजहार कर रहे हैं।
एसपी गए छुट्टी पर…
कवर्धा का माहौल अभी तक गरमाया हुआ है। कवर्धा एसपी राजेश अग्रवाल चार दिन काम करने के बाद छुट्टी पर चले गए। वो वापस नहीं लौटे हैं और अब उन्होनें छुट्टी बढ़वा दी है। बताते हैं कि राजेश के आने से पहले लोहारीडीह प्रकरण के निपटारे में पुलिस अफसरों से गंभीर चूक हुई है। इस प्रकरण के बाद एसपी तो हटा दिये गए लेकिन समस्या बढ़ गई है।
चर्चा है कि नए एसपी राजेश अग्रवाल समझ गए थे कि समस्या आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। उनके छुट्टी पर जाने की यही प्रमुख वजह बताई जा रही है। राजेश एक भाजपा नेता के नजदीकी रिश्तेदार भी हैं। उन्होनें अपने संपर्कों के जरिए अपनी बात ऊपर तक पहुंचा भी दी है। चर्चा तो यह भी है कि राजेश अग्रवाल की जगह नई पोस्टिंग हो सकती है। अब क्या कुछ होता है यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
सरगुजा राजनीति का नया अखाड़ा
बलौदाबाजार के बाद कवर्धा, जशपुर, सुरजपुर और अंबिकापुर में कानून व्यवस्था को लेकर माहौल गरम है। विपक्ष हमलावर है। अब तक विपक्ष कवर्धा तक सीमित रहा है लेकिन अब सरगुजा राजनीति का नया अखाड़ा बनने जा रहा है।
सीएम विष्णुदेव साय सरगुजा संभाग से आते हैं। यहां जितने भी कानून व्यवस्था से जुड़े मामले आए हैं इसमें पुलिस की गंभीर चूक सामने आ रही हैं। विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है। पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव सक्रिय हो गए हैं। वो गांव-गांव दौरा करने वाले हैं। न सिर्फ सिंहदेव बल्कि महंत और अन्य नेता भी सरगुजा में सक्रिय नजर आएंगे। ऐसे में सरगुजा की राजनीति में उबाल आने के संकेत हैं।
जंगल में मंगल
हेड आफ फारेस्ट फोर्स वी श्री निवासराव दिल्ली की एक बैठक को छोडक़र अपने गृह क्षेत्र हैदराबाद चले गए। उन्होनें अपनी जगह जूनियर अफसर को दिल्ली भेज दिया। चर्चा है कि एसीएस ऋचा शर्मा, राव के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं।
ई-कुबेर का क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया है। इससे ऋचा शर्मा खिन्न हैं। ई-कुबेर का क्रियान्वयन हो जाता है तो भुगतान में पारदर्शिता आएगी, जिससे बड़े अफसर प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह वन विभाग के राष्ट्रीय खेल का आयोजन तो हुआ लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला। कई राज्य के लोग नाराज होकर गए हैं। इन सबको देखते हुए राव की कार्यप्रणाली पर ऊंगलियां उठ रही हैं। ऐसे में विभाग की छवि सुधारने बदलाव के भी आसार दिख रहे हैं।
महादेव वाले बम-बम
भारी हंगामा खड़ा करने वाले महादेव सट्टा एप्प के प्रमुख सौरव चंद्राकर की कथित गिरफ्तारी के बाद आगे की गतिविधि को लेकर तरह-तरह की चर्चा है। इसके पहले एक और प्रमुख पार्टनर रवि उत्पल की भी गिरफ्तारी की खबरें चुनाव के समय उठा था। उसके छूटने की खबर है। एक आरोपी को कोर्ट से जमानत मिल गयी है, एक अफसर मंत्री के करीब पहुंच गया। बांकी महादेव वाले बम-बम है।