चलते वक्त नजरें नीची रखें, ताकि छोटी सी चींटी पर भी हिंसा न हो : विराग मुनि
Keep your eyes down while walking, so that there is no violence even on a small ant: Virag Muni
पर्यूषण महापर्व की शुरुआत पर श्री जैन दादाबाड़ी में विशेष प्रवचन
रायपुर। पर्यूषण महापर्व आज हमारे बीच आत्मकल्याण का संदेश लेकर पधारे हैं। पर्यूषण में साधना-आराधना और धार्मिक नियम मानने के अलावा अभयदान पर भी खास ध्यान दें। जाने-अनजाने कितनी हिंसा कर रहे हैं, ये हमें भी नहीं पता। सबसे पहले तो नजरें नीची कर चलने की आदत डालिए, ताकि आपके पैरों के नीचे किसी जीव के प्राण न छूटें। श्री जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास के अंतर्गत चल रहे प्रवचन में विराग मुनि ने ये बातें कही।
उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं के 5 कर्तव्य बताते हुए साधर्मिक भक्ति पर खास जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपने साधर्मिकों को कमजोर वर्ग की तरह नहीं, दिल खोलकर आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनना है। आज हम लाखों-करोड़ों ऐसे ही खर्च कर देते हैं, लेकिन हमारे जैन भाई आज भी एकदम निम्न स्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं। इस पर पूरे श्री पूरे श्रीसंघ को को विचार करना चाहिए कि यह भी संपन्न होकर अच्छा जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि एक वो जमाना था जब लोग परमार्थ और धर्मार्थ के लिए अपनी जान देने को तैयार रहते थे। आज वो जमाना है कि निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए लोग एक-दूसरे की जान लेने से भी नहीं चूक रहे। जितनी ज्यादा हिंसा करेंगे, उतना ज्यादा खुद को ही तकलीफ में डालेंगे। कुमार पाल महाराजा को याद करिए। एक बार उनकी जांघ में एक मकोड़ा आकर बैठ गया। महाराजा ने उसे हटाने की कोशिश की। वह नहीं हटा। आप उनकी जगह होते तो क्या करते? वही करते जो मच्छरों के साथ करते हैं। हाथ उठाकर जांघ पर पटकते और मकोड़ा मर जाता। कुमार पाल महाराजा ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने अपनी जांघ का वह हिस्सा ही काटकर अलग कर दिया जिस पर मकोड़ा बैठा था। मकोड़े ने अपनी प्रकृत्ति दिखाई, महाराजा ने अपनी दयालुता की प्रवृत्ति दिखाई। अभयदान को लेकर हमारे भीतर भी ऐसी ही भावना होनी चाहिए। विशेष परिमार्जना करनी ही होगी।
दुश्मन अकबर भी हितैषी बन गया, हम हैं कि 8 दिन ही भारी पड़ रहे हैं
मुनिश्री ने कहा, अकबर कभी जैन धर्मावलंबियों का दुश्मन था। जिन शासन की महत्ता देखिए कि वह भी जैन धर्म से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाया। एक समय के बाद जैन धर्मावलंबियों का हितैषी बन गया। एक हम हैं कि जैन धर्म, जिन कुल में जन्म लेकर भी जैन सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे। जिंदगीभर नियम मानना छोड़ दीजिए, पर्यूषण के आठ दिन भी धर्म-कर्म करना हम पर भारी पड़ता है।
सोशल मीडिया पर विचारों की हिंसा करने से अच्छा परिवार को समय दें
मुनिश्री ने कहा, पर्यूषण के 8 दिन कम से कम इतना संकल्प तो लें कि रात 9 से सुबह 9 बजे तक मोबाइल का स्वाध्याय करेंगे। बहुत जरूरी काम न हो तो सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे। वैसे भी फेसबुक, ट्विटर स्क्रोल करते समय ऐसे कई पोस्ट आते हैं, जिन्हें देखकर गुस्सा आता है। किसी के प्रति नकारात्मक भावना आती है। यह भी तो विचारों की हिंसा ही है। इन चक्करों में पड़कर पाप बांधने से अच्छा है कि पूरा परिवार साथ समय बिताए। इससे रिश्ते मजबूत होंगे। आधी परेशानी यहीं खत्म हो जाएगी।
21 हजार साल तक जिन शासन चलाना है तो साधर्मिक भक्ति करें
मुनिश्री ने कहा, भगवान महावीर ने कहा था कि मेरा शासन 21 हजार सालों तक चलेगा। अब सवाल ये है कि शासन कैसे चलेगा? तो इसका जवाब है साधर्मिकों की सहायता से। पर्यूषण पर्व के दौरान ज्यादा से ज्यादा साधर्मिकों की सेवा करें। जरूरी नहीं कि किसी जरूरतमंद की मदद करके ही हम साधर्मिक कर सकते हैं। ऐसा अमीर व्यक्ति जो दान-धर्म से दूर है, उसे परमात्मा की शरणों में लाना भी साधर्मिक भक्ति ही है। साधर्मिक भक्ति करते वक्त याद रखें कि इसी चतुर्विद संघ में कोई तीर्थंकर, कोई गणधर तो किसी श्रेष्ठ श्रावक-श्राविका की आत्मा भी है। आज उनकी साधर्मिक भक्ति का मौका मिल गया तो जन्मो-जन्म की गति सुधर जाएगी।
मुनि ने कहा- जरूरतमंद परिवारों को गोद लो, मदद करने कई आए
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि प्रवचन सभा के दौरान मुनिश्री ने इस पर्यूषण ज्यादा से ज्यादा साधर्मिक परिवारों की भक्ति का आह्वान किया। समिति के महासचिव नरेश बुरड़ ने सबसे पहले एक परिवार को गोद लेने की बात कही। श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया और कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि पर्यूषण पर्व के लिए पूरे मंदिरों को सजाया गया एवं रात्रि में प्रभु भक्ति का आयोजन किया गया दादाबाड़ी को विशेष तौर पर सजाया गया है। साधना-आराधना को लेकर भी खास इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने समाजजनों से अपील की है कि इस पर्यूषण के दौरान अपने प्रतिष्ठान सुबह 11 बजे के बाद खोलें। अपना ज्यादा से ज्यादा समय जप-तप में बिताएं। एवं प्रतिदिन विराग मुनि द्वारा विशेष प्रवचन दिया जा रहा है कम से कम इन आठ दिनों में सश्रवण करने का लाभ लें