JOKES ON SARDAR : सुप्रीम कोर्ट ने सरदारों पर चुटकुलों को लेकर सुनवाई की, जानें पूरा मामला

JOKES ON SARDAR: Supreme Court heard about jokes on Sardar, know the whole matter
नई दिल्ली। सरदारों (सिखों) पर एक से बढ़कर एक चुटकुले (जोक्स) बनते हैं। लोग उन जोक को सुनकर या पढ़कर हंसते भी हैं। हालांकि अब सरदारों पर चुटकुले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गंभीर हो गई है। शीर्ष न्यायालय ने इसे एक महत्वपूर्ण विषय कहा है। सरदारों का मजाक बनाने वाले इन जोक्स पर रोक लगाने की एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सिख संगठनों की तरफ से दिए गए सुझावों को संकलित कर रखें। मामले की सुनवाई 8 सप्ताह बाद होगी।
दरअसल वर्ष 2015 में वकील हरविंदर चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि इस तरह के चुटकुले सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार का हनन करते हैं। इसी याचिका पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।
गुरुवार (21 नवंबर 2024) को इस मामले को सुनते हुए जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने कहा कि सिख पुरुषों और महिलाओं को अपनी वेशभूषा के चलते मजाक झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक मामले में एक सिख युवक ने मज़ाक से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
याचिकाकर्ता ने समाज के कई लोगों में सिखों को लेकर मज़ाक करने की प्रवृत्ति का भी जिक्र अपनी याचिका में किया था। उन्होंने स्कूलों में सिख बच्चों को साथी छात्रों की तरफ से परेशान करने की भी बात कही। बाद में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी, मनजीत सिंह जीके और मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी याचिका दाखिल की।
इसके अलावा नेपाली मूल के 2 छात्रों अक्षय प्रधान और माणिक सेठी ने भी याचिका दाखिल कर नेपाली/गोरखा लोगों को मज़ाक का पात्र बनाए जाने का मसला उठाया। 2016 में मामले को सुनते हुए कोर्ट ने साफ किया था कि वह इस तरह के चुटकुलों के खिलाफ गाइडलाइंस नहीं बना सकता। लेकिन इंटरनेट पर अवांछित सामग्री की मौजूदगी को रोकने को लेकर दिशानिर्देश दे सकता है। इसके लिए कोर्ट ने सभी पक्षों से सलाह मांगी थी। कोर्ट ने सिर्फ सिख ही नहीं, तमाम वर्गों को उपहास का पात्र न बनाने को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की ज़रूरत भी बताई थी।