JAISHANKAR GLOBAL POLITICS : Many centers of power, India’s role is important – S. Jaishankar
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि मौजूदा दौर में दुनिया बड़े आर्थिक और राजनीतिक बदलावों से गुजर रही है और अब वैश्विक ताकत किसी एक देश तक सीमित नहीं रही। पुणे स्थित सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज कई शक्ति केंद्र उभर चुके हैं, जहां से वैश्विक प्रभाव संचालित हो रहा है।
जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब कोई भी देश, चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों न हो, अपनी इच्छा दूसरे देशों पर नहीं थोप सकता। दुनिया अब एकध्रुवीय नहीं बल्कि बहुध्रुवीय बन चुकी है, जहां अलग-अलग देश और क्षेत्र अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका से संवाद पहले की तुलना में ज्यादा जटिल हो गया है। चीन से निपटना भी पहले से अधिक पेचीदा है, वहीं यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के साथ संतुलन बनाए रखना भी चुनौती बन गया है, क्योंकि कई देशों की ओर से दबाव बनाया जा रहा है।
जयशंकर ने कहा कि आज की प्रतिस्पर्धा अपने आप एक नया वैश्विक संतुलन तैयार कर रही है। शक्ति की परिभाषा भी बदल गई है। अब ताकत केवल सैन्य बल तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, प्राकृतिक संसाधन और मानव प्रतिभा भी उतनी ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।
पड़ोसी देशों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पड़ोसी भले ही आकार में छोटे हों, लेकिन उनकी घरेलू राजनीति में भारत एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। कभी रिश्ते ऊपर जाते हैं तो कभी नीचे, लेकिन जरूरत के वक्त भारत हमेशा साथ खड़ा रहा है।
उन्होंने श्रीलंका में आए हालिया चक्रवात और कोविड काल का जिक्र करते हुए कहा कि संकट के समय सबसे पहले मदद भारत से ही पहुंची। यूक्रेन युद्ध के दौरान जब ईंधन, गेहूं और उर्वरक की आपूर्ति प्रभावित हुई, तब भी भारत ने जरूरतमंद देशों की मदद की।
खाड़ी देशों के साथ ऐतिहासिक रिश्तों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और खाड़ी क्षेत्र के बीच गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहा है, जिसे दोबारा मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे जहां भी जाएं, वहां भारत की छाप और प्रभाव को पहचानें।
जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति में स्पष्ट सोच, ठोस रणनीति और सही समय पर फैसले बेहद जरूरी हैं। जो भी सकारात्मक पहलू भारत के पक्ष में हों, उन्हें देशहित में उपयोग में लाना ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
