JAGESHWAR RAM YADAV : सीएम साय से मिलने नंगे पांव पहुना पहुंचे जागेश्वर यादव .. तब

JAGESHWAR RAM YADAV: Jageshwar Yadav reached Pahuna barefoot to meet CM Sai.. then
रायपुर। अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की सेवा में बिताने वाले जागेश्वर राम ने इस विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षा के लिए भी विशेष रूप से कार्य किया। उनके इस कार्य में उन्हें तत्कालीन सांसद और अब के सीएम विष्णुदेव साय का भरपूर सहयोग मिला। जब साय मुख्यमंत्री बने तब जागेश्वर उनसे मिलने नंगे पांव ही राज्य अतिथि गृह पहुना पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने उन्हें जब दूर से देखा तो आत्मीयता से आवाज लगाई। ऊहां कहां खड़े हस, ऐती आ।
ये बात बीते साल 16 दिसम्बर 2023 है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिलने और राज्य के 18 लाख बेघर लोगों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करने के लिए जागेश्वर यादव रायपुर स्थित उनके सरकारी आवास पहुना पहुंचे थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों की भीड़ और बेरिकेट देखकर दूर खड़े जागेश्वर यादव मुख्यमंत्री से मिलने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, जैसे ही मुख्यमंत्री लोगों से मिलने बाहर आए उनकी नजर दूर खड़े यादव पर पड़ी और मुख्यमंत्री ने उन्हें जशपुरिया लहजे में बड़े ही अपनेपन से पुकारा ‘‘आ ऐती आ, उहां का खडे़ हस, मोर कोती आ‘‘।
जागेश्वर यादव अपने पास आते ही मुख्यमंत्री ने उन्हें गले लगाया। पूरे समय साथ ही रहे और समय-समय पर आत्मीय चर्चा करते रहे। जागेश्वर यादव ने मुख्यमंत्री को कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के 18 लाख लोगों को आवास देने के निर्णय पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सरगुजा संभाग की विशेष पिछड़ी जनजाति के हजारों बिरहोर लोगों को आवास मिलने का रास्ता खुल गया है जो घास-फूस की झोपड़ियों में हर साल सरगुजा की कड़ी सर्दी गुजारते हैं।
जागेश्वर राम कभी चप्पल नहीं पहनते
जागेश्वर राम कभी चप्पल नहीं पहनते। वे कपड़े भी मामूली ही पहनते हैं। वे मुख्यमंत्री से मिलने जब पहुना पहुंचे तो वे बैरिकेड के उस पार थोड़े से संकोच के भाव से अपनी बारी का इंतजार करते खड़े हो गये। मुख्यमंत्री जब आये तो परिचितों से भेंट करते वक्त उनकी नजर दूर खड़े जागेश्वर राम पर गई। उन्होंने जागेश्वर को बड़े ही अपनेपन से आवाज लगाकर अपने पास बुलाया और उनसे मिले।
बिरहोर जनजाति की सेवा की वजह से जुड़ा सीएम से कनेक्शन
दरअसल, जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री के बीच आत्मीयता कड़ी प्रदेश की अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर जनजाति की वजह से जुड़ पाई। जागेश्वर, महकुल यादव जाति से आते हैं। अपने युवावस्था के दिनों में जब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आये तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया। वे शेष दुनिया से कटे थे। शिक्षा नहीं थी, वे झोपड़ियों में रहते थे। स्वास्थ्य सुविधा का अभाव था। उन्होंने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाऊंगा। यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया। इसके चलते वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन सांसद विष्णुदेव साय के संपर्क में आये। उनके समक्ष इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी। साय ने उन्हें पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया। इसके बाद साय के सहयोग से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले।
पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की सेवा में किया समर्पित
जागेश्वर ने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की बेहतरी में लगा देंगे। यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया। इसके चलते वे तत्कालीन सांसद विष्णुदेव साय के संपर्क किया। उनके समक्ष इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी। सांसद ने उन्हें पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया। इसके बाद सांसद साय के सहयोग से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले।
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साय ने की थी खाट-पलंग की व्यवस्था
जागेश्वर राम ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने सांसद रहते बिरहोर जनजाति के दुखदर्द को समझा। वे झोपड़ियों में सर्द रातें बिना खाट के गुजारते थे। साय ने उनके लिए खाट-पलंग की व्यवस्था की। वे 1980 से ही उनके साथ हैं और पहाड़ी कोरवा तथा बिरहोर जनजाति के इलाकों में जब भी दौरे पर जाते हैं, जागेश्वर यादव को अपने साथ ही रखते हैं।
शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित
शुरुआत में ऐसी स्थिति थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे, लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आये तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया। इस गौरवमयी उपलब्धि के लिए राज्य अलंकरण समारोह में उन्हें शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।