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ये क्या करोड़ों रुपए में बना खेल स्टेडियम बना मवेशियों का अड्डा, खेल नहीं घास चरने आती है गायें…आखिर कैसे निखरेगी प्रतिभा

सूरजपुर  प्रतिभा किसी की मोहताज नही होती, लेकिन अगर प्रतिभाओं को समय पर सही सुविधाएं उपलब्ध ना हो तो वो भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाती है. ऐसा ही कुछ सूरजपुर जिले का हाल है. जिले में ग्रामीण इलाके से लेकर शहरी इलाकों तक खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं हैं. कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर में सूरजपुर जिले का नाम रोशन कर चुके हैं. अब खेल के मैदानों में खिलाड़ियों की जगह मवेशी और अव्यवस्थाओं ने ले ली हैं.

(Surajpur) जिले के नगर पालिका सूरजपुर से लेकर ग्राम पंचायतों तक में खेल मैदान बनाने से लेकर उसके रखरखाव के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। करोड़ों खर्च के बावजूद जैसा खेल मैदान बनना था, वैसा बन ना सका। नतीजा यह है कि खेल स्टेडियम के अभाव में आखिर खिलाड़ी खेले तो कहां खेले। यहां तक खिलाड़ियों के लिए संसाधन की भी कमी हैं. (Surajpur) इसके बावजूद खिलाड़ियों का हौसला कम नहीं हुआ है. नगर पालिका सूरजपुर का पुराना स्टेडियम ग्राउंड केवल नाम मात्र का रह गया है। खेलों के स्थान पर यहां शासकीय कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

स्टेडियम कि दुर्दशा देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्रिकेट खिलाङीयो के लिए ना ही यहाँ पीच कोई व्यवस्था है और ना ही दुसरे खेल प्रैक्टीस के लिए परफेक्ट मैदान,,, ऐसे मे अब जिले के खेल अधिकारी जल्द ही पुराने स्टेडीयम को अत्याधुनिक रुप से तैयार करने की बात कर रहे है,,,

सरकार आती है चली जाती है मैदानों को बेहतर बनाने के लिए भी फंड पास कराए जाते हैं, लेकिन सुविधाएं उपलब्ध नही हो पाती। बहरहाल अब यह देखने वाली बात होगी कि जिले के इन प्रतिभाओं को उभारने के लिए ग्राउंड का कब तक आधुनिककरण हो पाता है।

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