हिड़मा के गांव में सीआ रपीएफजवानों ने निभाया भाई का फर्ज, दुल्हन को दिया सगुन

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सुकमा, 25 जून 2025 – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का पूवर्ती गांव, जो कभी कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा का गढ़ माना जाता था, आज बदलते बस्तर की एक अनोखी मिसाल बन गया है। इस गांव में हाल ही में एक बेटी की शादी के दौरान एक हृदयस्पर्शी घटना घटी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

शादी के बाद दुल्हन की विदाई के समय ग्रामीणों ने उसे सीआरपीएफ के 150वीं बटालियन के कैंप में ले जाया, जहां ड्यूटी पर तैनात जवानों ने उसे अपनी बहन मानते हुए सगुन (उपहार) दिया। जवानों ने न केवल दुल्हन को आशीर्वाद दिया, बल्कि ग्रामीणों के साथ मिलकर नाच-गाकर खुशियां भी बांटीं। यह दृश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच बढ़ते विश्वास और सौहार्द का प्रतीक बन गया है।

बदल रहा है बस्तर का माहौल

पूवर्ती गांव, जो कभी नक्सली हिंसा और डर के साए में था, अब धीरे-धीरे सामाजिक एकता और विश्वास की नई कहानी लिख रहा है। सीआरपीएफ के जवान, जो पहले ग्रामीणों के लिए संदेह का कारण थे, आज उनके अपने बन चुके हैं। इस शादी समारोह में जवानों की सहभागिता ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा बल न केवल क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

इस भावुक पल का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई यूजर्स ने इसे “बदलते बस्तर” की तस्वीर करार दिया है। एक यूजर ने लिखा, “जहां कभी बंदूकें बोलती थीं, वहां आज शहनाइयां गूंज रही हैं। सीआरपीएफ के जवान भाई बनकर बेटी की विदाई में शामिल हुए, यह सच्चा भारत है।” एक अन्य यूजर ने कहा, “यह तस्वीर हजारों उम्मीदों के बराबर है।”

सीआरपीएफ की भूमिका

सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन के जवानों ने इस अवसर पर परंपरागत रूप से नेग (उपहार) देकर दुल्हन को विदाई दी। जवानों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर नृत्य किया और खुशी के इस पल को यादगार बनाया। यह घटना न केवल पूवर्ती गांव, बल्कि पूरे बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदाय के बीच बढ़ते तालमेल को दर्शाती है।

नक्सलवाद पर काबू पाने की दिशा में कदम

सुकमा जिला, जो लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का केंद्र रहा है, अब विकास और विश्वास की नई राह पर चल रहा है। सुरक्षा बलों द्वारा स्थापित कैंप और ग्रामीणों के साथ उनके सहयोग ने नक्सलवाद के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस तरह के आयोजन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन की वापसी का संकेत हैं।

यह घटना न केवल एक शादी समारोह की कहानी है, बल्कि यह दर्शाती है कि प्यार, विश्वास और एकता के बल पर सबसे कठिन परिस्थितियां भी बदली जा सकती हैं। पूवर्ती गांव की यह तस्वीर पूरे देश के लिए प्रेरणा बन रही है।

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