यदि राज्यपाल निर्णय नहीं ले पा रही हैं, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए : टीएस सिंहदेव
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रायपुरआरक्षण बिल रोके जाने के खिलाफ 3 जनवरी को कांग्रेस की रैली में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस मौके पर वक्ताओं ने आरक्षण को लेकर भाजपा को जमकर कोसा। सीएम भूपेश बघेल, और प्रदेश प्रभारी शैलजा, और सरकार के मंत्रियों व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बिल पर हस्ताक्षर न होने पर सवाल उठाए। मंत्री टीएस सिंहदेव और रविंद्र चौबे ने कहा है कि यदि वे निर्णय नहीं ले पा रही हैं तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।
प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने कहा कि समाज में समानता का अधिकार सबको मिलना चाहिए, समाज को न्याय के लिए छत्तीसगढ़ में शिक्षा, रोजगार और भविष्य के लिए छत्तीसगढ़ में विशेष पहल हुई है। ये कहते हुए मुझे दुःख हो रहा है कि जो पहल छत्तीसगढ़ में हुई है, उसे रोका जा रहा है। यह संविधान के साथ भी खिलवाड़ है, छत्तीसगढ़ के लोगों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। भाजपा के लोग जानते थे कि अगर आरक्षण विधेयक पर विधानसभा में साथ नहीं दिया, तो घरों से निकल नहीं पायेंगे। राज्यपाल को बिल रोकने का अधिकार नहीं है। न ये संविधान का आदर है, न छत्तीसगढ़ की जनता का।
कांग्रेस विधायक संतराम नेताम आदिवासी नेता विधायक ने कहा की केंद्र सरकार के कथनी और करनी में अंतर है, आदिवासियों को बरगलाने का काम किया। आदिवासियों का आरक्षण 32 से आज 20 कर दिया गया।
उन्होंने राज्यपाल से मांग की है कि आदिवासियों का आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करती, ये भाजपा के संरक्षण में हो रहा है। भाजपा नही चाहती क़ि आदिवासी आगे आए ।15 साल आदिवासियों का दमन किया है । आज भाजपा धर्मांतरण का मुद्दा बनाकर बहाना कर रही।
इससे पहले पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, हमारे नेताओं ने संविधान बनाया और आरक्षण की व्यवस्था की। हमारी सरकार ने विधानसभा के विशेष सत्र में हर वर्ग को आरक्षण दिया। भाजपा ने आरक्षण को रोकने का काम किया। श्री मरकाम ने कहा कि, आज भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा बेनकाब हो गया है। भाजपा कहती कुछ है करती कुछ और है। श्री मरकाम ने कहा कि, 32 दिन बाद भी आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल साइन नहीं कर रही हैं। इस बात को गांव-गांव तक पहुंचाना है। यह छत्तीसगढ़ के लोगों की अस्मिता की लड़ाई है।