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हिंदू संगठनों ने कवर्धा में दिखाई ताकत: राज्य सरकार पर बरसे साधु-संत, रखी चार बड़ी मांगें

कवर्धा। छत्तीसगढ़ का कवर्धा जिला मुख्यालय इन दिनों हिंदूवादी संगठनों की सक्रियता के चलते चर्चा में है। दरअसल यहां शहर के लोहारा नाके में 3 अक्टूबर को एक झंडा विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद राज्य सरकार पर एकपक्षीय कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं। इसी को लेकर आज 6 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद ने हिन्दू समाज को जागरूक करने ‘हिन्दू शौर्य जागरण संकल्प महासभा’ का आयोजन नगर के करपात्री मैदान में किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए विहिप ने एक दिसंबर से ही जिले के गांव- गांव में घूमकर इस महासभा में शामिल होने का आव्हान किया था। इस कार्यक्रम में साधु, संत, विहिप के बड़े पदाधिकारियों के अलावा भाजपा के तमाम दिग्गज नेता भी शामिल हुए। हालांकि आयोजकों ने किसी भी नेता को मंच पर स्थान नहीं दिया गया। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, प्रदेश भाजपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और तमाम पूर्व मंत्री मंच के सामने बैठे नजर आए। इस आयोजन को समझने के लिए कवर्धा कांड को लेकर उपजे आक्रोश को समझना होगा। दरअसल 3 अक्टूबर को झंडा को लेकर उपजे विवाद को लेकर विहिप अब तक शांत नहीं हुआ है। यही कारण है कि आज कवर्धा में ‘हिन्दू शौर्य जागरण संकल्प महासभा’ का आयोजन किया गया। इस आयोजन में प्रमुख रूप से संत परमात्मानंद, राजीव लोचन महराज, बालकदास महराज, हरिहरानंद महराज शामिल हुए। इन सभी संतों ने मंच से प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। संतों ने कहा कि 3 अक्टूबर को कवर्धा में जो हुआ और सरकार ने जैसी कार्रवाई की वह निंदनीय है। वहीं विहिप के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा और बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सिंह सोलंकी ने सरकार के समक्ष 4 प्रमुख मांगे रखी हैं। इन मांगों में 3 व 5 अक्टूबर की घटना की न्यायिक जांच, जिले के कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, तहसीलदार, टीआई पर कारवाई की मांग, कवर्धा नगर में बाहर से आकर बसे लगभग 9 हजार मुस्लिमों को चिन्हांकित कर कवर्धा से बाहर करने की मांग शामिल है। इस महासभा में जिले और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पूरा सभास्थल जय श्रीराम के नारों से गुजायमान रहा। कार्यक्रम को लेकर प्रशासन भी काफी गंभीर नजर आया। इसलिए कवर्धा शहर से पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्कूल कॉलेजों को बंद रखने का आदेश जारी कर दिया गया था। वहीं कवर्धा शहर की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया था। सिर्फ राजनांदगांव रोड को प्रवेश के लिए खुला रखा गया था। लेकिन यातायात व्यवस्था बनाये रखने के लिए वाहनो का प्रवेश शहर में वर्जित था। इसलिए विहिप के कार्यकर्ता नगर में रैली निकालकर सभास्थल करपात्री मैदान तक पहुंचे।

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