Trending Nowशहर एवं राज्य

आरक्षण विवाद का हल! सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की शक्तियों को लेकर की अहम टिप्पणी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले 7 माह से चल रहे आरक्षण विवाद का हल अब सुप्रीम कोर्ट से मिलने की उम्मीद दिखी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तेलंगाना राज्य के मसले पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्यपालों की शक्ति पर टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि राज्यपालों को बिल पर फैसला लेने में देरी नहीं करना चाहिए। बिल पर बैठे रहने की बजाय जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए। जिसके बाद छत्तीसगढ़ के आरक्षण बिल संबंधी विवाद में भी इस फैसले से समाधान का विकल्प निकालने की कोशिश की जा रही है। गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के लिए याचिका भी दाखिल कर दी है। जिस पर 1 मई को सुनवाई होनी है।

राज्य सरकार ने 76 परसेंट आरक्षण का बिल पास कर इसे दस्तखत के लिए राज्यपाल को भेज दिया था। बिल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही वह कानून की शक्ल लेता। पर पूर्व की राज्यपाल अनुसुइया उइके व वर्तमान राज्यपाल ने अब तक इस बिल पर साइन नहीं किया है न ही इसे राज्य सरकार को वापस लौटाया है। जिसके चलते पिछले 7 माह से प्रदेश में आरक्षण बिल लटका हुआ है। आरक्षण बिल लटकने से प्रदेश में ना तो कोई भर्ती परीक्षा आयोजित की जा रही है ना ही कालेजों में प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जा रही है। यहां तक पूर्व में संपन्न हो चुकी परीक्षाओं के नतीजे भी घोषित नहीं किए जा रहे हैं। और जिन परीक्षाओं के नतीजे घोषित हो गए हैं। उसमें जॉइनिंग नहीं दी जा रही है। आरक्षण बिल को लेकर प्रदेश में जमकर राजनीति हुई है।

बिल रोके जाने का एक ऐसा ही मसला तेलंगाना राज्य का है। जिसमें राज्य सरकार के द्वारा पारित बिल मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास लंबित है। राज्यपाल के दस्तखत न करने के चलते दसों बिल अभी तक पेंडिंग है। जिसको लेकर तेलंगाना राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें तेलंगाना की राज्यपाल तमिल साईं सुंदरराजन को पेंडिंग पड़े 10 बिल को मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका की सुनवाई पिछले दिनों चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच में हुई। जिसमें अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200(1) में जितनी जल्दी हो सके शब्द का अहम संवैधानिक मकसद है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को बिल पर फैसला लेने में देरी नहीं करनी चाहिए उन पर बैठे रहने की बजाय जितनी जल्दी हो सके फैसला लेना चाहिए। या तो उन्हें मंजूरी देनी चाहिए या लौटा देना चाहिए या राष्ट्रपति को विचार के लिए भेज देना चाहिए।

छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण बिल को रोके जाने का इसी तरह का मामला राज्यपाल के पास पेंडिंग है। जिसको लेकर गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग याचिका दाखिल की है। दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को सुनवाई होनी है। तेलंगाना के फैसले के मद्देनजर माना जा रहा है कि आरक्षण विवाद का हल सुप्रीम कोर्ट से निकल सकता है। हालांकि संविधान में राज्यपाल के हस्ताक्षर करने की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। फिलहाल सभी की सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकीं हैं।

Advt_07_002_2024
Advt_07_003_2024
Advt_14june24
july_2024_advt0001
Share This: