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बिहार, नागालैंड और UP में सबसे ज्यादा गांजे की जब्ती, DRI रिपोर्ट में खुलासा, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बताया चिंता

नई दिल्ली : राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की भारत में तस्करी पर नई रिपोर्ट के मुताबिक गांजे की जब्ती के मामले में बिहार पहले नंबर पर है. साल 2020-21 में, बिहार में 12 मामलों में कुल 13,446 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया जबकि नागालैंड में 10 मामलों में 9,001 किग्रा और उत्तर प्रदेश में 6 मामलों में 8,386 किग्रा जब्ती की गई. डीआरआई ने पूरे देश में करीब 45 मीट्रिक टन गांजा जब्त किया. दूसरे जिन राज्यों में बड़ी मात्रा में गांजा जब्त की गई, उनमें छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश शामिल हैं.

डीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी ने नशीले पदार्थों की जब्ती में एक चुनौती पैदा की है क्योंकि सोने और नार्कोटिक्स पदार्थों की तस्करी के लिए कई नए तरीके इजाद कर लिए गए हैं. इसने कहा कि तस्करों के लिए कुरियर और पोस्टल कार्गो ड्रग्स के सप्लाई के लिए सबसे बढ़िया तरीका बन गया है. डीआरआई ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का चिंता’ बताया है.

नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत गांजा प्रतिबंधित है. रिपोर्ट में कहा गया है, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंता की बात है, क्योंकि गांजे की तस्करी गतिविधियों में शामिल क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. गांजे की तस्करी से मिलने वाले अवैध पैसों का ऐसे उग्रवादी समूहों द्वारा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है.”

साल 2018-19 में बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और असम गांजे की जब्ती के मामले में सबसे आगे थे. वहीं 2019-20 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु टॉप पर थे. इस दौरान डीआरआई ने तस्करी के 412 मामलों में 1,949 करोड़ रुपए के गांजे की जब्ती की थी.

ओडिशा और आंध्र प्रदेश से बड़ी मात्रा में सप्लाई

2019-20 की रिपोर्ट में डीआरआई ने कहा था, “इन जब्तियों से एक अलग तरह का ट्रेंड नजर आ रहा है जो बताता है कि काफी मात्रा में गांजा ओडिशा और आंध्र प्रदेश से निकलकर तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश होते हुए उत्तरी राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार पहुंच रहा है. इन्हीं जगहों से निकले गांजे की कुछ मात्रा उपयोग के लिए महाराष्ट्र भी पहुंचती है. महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में गांजे का इस्तेमाल सिंथेटिक ड्रग्स को बनाने और तस्करी के लिए अधिक होता है.”

अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था. शराबबंदी के कारण पिछले पांच सालों में राज्य में ड्रग्स, गांजे के इस्तेमाल और अवैध शराब की बिक्री में तेजी आई है. पिछले महीने ही राज्य में जहरीली शराब पीने के कारण गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर सहित कई जिलों में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

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