
बिलासपुरः कोरोनाकाल के दौरान दुर्ग के जामा मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने पर विरोध करने पर नमाज पढ़ने से वंचित किये जाने के मामले में याचिकाकर्ता को हाइकोर्ट से राहत मिल गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता को प्रत्येक शुक्रवार को नमाज अदा करने की अनुमति दी है. साथ ही अन्य पक्षकारों से जवाब तलब किया है.
दुर्ग की जामा मस्जिद का है मामला
दरअसल पूरा मामला दुर्ग जिले के जामा मस्जिद का है. पिछले कोरोना लॉक डाउन के समय शोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना अनिवार्य था. याचिकाकर्ता मो यूसुफ चौहान ने जामा मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन न किये जाने का विरोध किया. इसके बदले मो यूसुफ को वहां से धक्के मारकर बाहर कर दिया गया. उसके मस्जिद में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
यूसुफ ने कोतवाली में दर्ज कराई थी एफआईआर, कुछ के खिलाफ नहीं लिखी गई
अपने साथ हुई बदसुलूकी और नमाज अदायगी से वंचित किये जाने को लेकर यूसुफ ने कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई. कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर तो लिखी गई पर मौलवी के खिलाफ एफआईआर नहीं लिखी गई. इससे दुखी होकर मो यूसुफ चौहान ने अपने अधिवक्ता ईशान वर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने मस्जिद में प्रवेश और मौलवी के खिलाफ एफआईआर की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई.