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कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। सिंहदेव सोमवार को रायपुर आकर सीधे राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने जाएंगे। मतदान के बाद वे दिल्ली रवाना हो जाएंगे। वहां वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक और बार अपनी बात रखेंगे।

सिंहदेव के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी से इस्तीफे के सवाल पर रविवार को दिन भर हलचल मची रही। सिंहदेव ने पत्र की एक कॉपी मुख्यमंत्री सचिवालय को भिजवाई है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने भी इस मुद्दे पर सिंहदेव से फोन पर चर्चा की। पत्र के बिंदुओं पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी उनकी चर्चा हुई है। हालांकि अभी तक सुलह के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

पीएल पुनिया ने बताया, ताजा घटनाओं की जानकारी उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल को दे दिया है। देर शाम मुख्यमंत्री निवास में कांग्रेस विधायक दल की बैठक है। इसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान का सामान्य प्रशिक्षण होना है। इस बैठक में सिंहदेव सहित कई विधायक शामिल नहीं हो रहे हैं। सिंहदेव अंबिकापुर में हैं और रात की ट्रेन से रायपुर के लिए रवाना होंगे। सोमवार सुबह वे रायपुर पहुंचकर सीधे सिविल लाइंस स्थित आवास जाएंगे। वहां से वे विधानसभा जाकर राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने वाले हैं। उसके बाद वे दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। वहां कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी बैठक होनी है।

विधानसभा सत्र में भी नहीं रहने की संभावना

संभावना जताई जा रही है कि मंत्री टीएस सिंहदेव विधानसभा के मानसून सत्र में भी शामिल नहीं होंगे। मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। उस दिन सिंहदेव गुजरात के दौरे पर रहेंगे। कांग्रेस ने उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए ऑब्जर्वर बनाया है। अगर सिंहदेव नहीं लौटे तो सरकार को उनके विभागों के सवालों का जवाब देने के लिए किसी अन्य मंत्री को जिम्मेदारी देनी हाेगी।

सिंहदेव ने गंभीर सवाल खड़े कर पद छोड़ने की इच्छा जताई है

मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार शाम को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पेज का एक पत्र लिखा है। इसमें विभाग में लगातार दखलअंदाजी और उनके प्रस्तावों पर काम नहीं होने की गंभीर शिकायतें हैं। इस पत्र में उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से खुद को पृथक कर रहे हैं। इस पत्र के बाद प्रदेश की राजनीति में तूफान आया हुआ है।

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