H-1B VISA FEES HIKE : अमेरिका का H-1B वीज़ा अब और महंगा, भारतीय प्रोफेशनल्स पर बढ़ेगा बोझ

H-1B VISA FEES HIKE : US H-1B visas now more expensive, burden on Indian professionals increasing
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब नए H-1B वीज़ा आवेदन पर कंपनियों को 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी। पहले यह फीस 1 से 8 लाख रुपये के बीच होती थी। इस फैसले से भारत समेत कई देशों के आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है।
क्यों बढ़ाई गई वीज़ा फीस?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि H-1B वीज़ा का दुरुपयोग हो रहा है। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में केवल वही प्रोफेशनल्स आएं जो वास्तव में हाईली स्किल्ड हों और अमेरिकी कामगारों की नौकरियों पर असर न पड़े।
व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ ने कहा कि यह प्रोग्राम उन्हीं विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए है जिनके कौशल की कमी अमेरिका में है।
H-1B वीज़ा क्या है?
1990 में शुरू किया गया वीज़ा प्रोग्राम
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) सेक्टर के प्रोफेशनल्स को मौका
शुरुआत में 3 साल के लिए मिलता है, जिसे 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है
आवेदन प्रक्रिया USCIS के साथ रजिस्ट्रेशन और लॉटरी सिस्टम पर आधारित
भारतीयों पर क्या असर?
H-1B वीज़ा धारकों में भारतीयों की हिस्सेदारी 71% है।
चीन 11.7% के साथ दूसरे स्थान पर है।
अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियां हजारों H-1B वीज़ा का उपयोग करती हैं।
अब भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए हर बार वीज़ा रिन्यू कराना बेहद महंगा होगा।
ट्रंप का ‘गोल्ड कार्ड’ प्रोग्राम
ट्रंप ने ‘गोल्ड कार्ड वीज़ा’ का भी ऐलान किया है। इसके तहत व्यक्तिगत आवेदन के लिए 10 लाख डॉलर और बिजनेस के लिए 20 लाख डॉलर फीस तय की गई है। ट्रंप का दावा है कि इससे अरबों डॉलर जुटेंगे और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
भारत के लिए नया मौका?
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि ट्रंप का यह कदम भारत के लिए अवसर है। अमेरिका में दरवाज़े बंद होने से इनोवेशन, स्टार्टअप और रिसर्च का नया वेब भारत की ओर आएगा। बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव जैसे शहर वैश्विक टैलेंट और टेक्नोलॉजी का हब बन सकते हैं।