
- नई औद्योगिक नीति से उद्योग धंधों के नए अवसर खुले, कृषि क्षेत्र और वन आधारित उद्योगों को मिला बढ़ावा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में रोजगार की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार इन्वेस्टर्स मीट करने जा रही है। इसका आयोजन जनवरी के अंतिम सप्ताह में प्रस्तावित है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए इन्वेस्टर्स मीट होने पर भले ही असमंजस की स्थिति बनी हो, लेकिन उद्योग विभाग पूरी तैयारी में जुटा हुआ है।
प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने तीन वर्ष में 149 एमओयू किए हैं। इनके माध्यम से प्रदेश में 73 हजार करोड़ स्र्पये का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे प्रदेश के 89 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इन्वेस्टर्स मीट के जरिए बस्तर में करीब एक हजार करोड़ रुपये का निवेश कराने की तैयारी की जा रही है। राज्य सरकार ने उद्योग को तीन सेक्टरों प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक में बांटकर काम करना शुरू किया है।
उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने बताया कि प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कृषि क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से किसानों की आमदनी में वृद्धि होने के साथ ही खेतों का रकबा बढ़ा है। द्वितीयक क्षेत्र में आने वाले उद्योग के विकास के लिए सरकार के प्रयासोें से राज्य में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति से राज्य में बहुत अच्छा औद्योगिक वातावरण का निर्माण हुआ है। कोर सेक्टर के उद्योगों को विद्युत शुल्क में छूट दी गई। कारखानों में कच्चे माल की आवक बनी रहे और तैयार माल बाजार तक पहुंचता रहे, इसके लिए सभी जरूरी व्यवस्था की गई है।
राइस मिलों में ऊर्जा प्रभार से पांच प्रतिशत की छूट दी गई। उद्योगों को बिजली बिलों के भुगतान की अवधि में भी छूट दी गई। नई औद्योगिक नीति से उद्योग धंधों के नए अवसर खुलने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र व वन आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिल रहा है।