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GERMANY ELECTION RESULT : जर्मनी में सत्ता परिवर्तन ! फ्रीडरिक मैर्त्स बने नए चांसलर, कट्टरपंथी पार्टी की ऐतिहासिक बढ़त

GERMANY ELECTION RESULT: Change of power in Germany! Friedrich Mertz becomes the new Chancellor, historic lead for the radical party

बर्लिन। जर्मनी की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। कंजरवेटिव नेता फ्रीडरिक मैर्त्स अब देश के नए चांसलर बनने जा रहे हैं। उनकी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) के गठबंधन ने करीबी मुकाबले में जीत दर्ज की, जबकि मौजूदा चांसलर ओलाफ शोल्ज की पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स (SPD) को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार को स्वीकार करते हुए शोल्ज ने कहा कि यह हमारे लिए निराशाजनक परिणाम है।

जर्मनी में दक्षिणपंथी ताकतों का उभार, Alternative for Germany की ऐतिहासिक जीत

इस चुनाव में सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी Alternative for Germany (AfD) की ऐतिहासिक बढ़त है। पार्टी ने 20.5% वोट हासिल किए, जो 2021 के 10.3% वोट प्रतिशत से दोगुना है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार AfD को इतनी बड़ी सफलता मिली है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि देश में ध्रुवीकरण और दक्षिणपंथी राजनीति का प्रभाव बढ़ रहा है।

सत्ता पर काबिज होगी कंजरवेटिव सरकार, लेकिन गठबंधन रहेगा चुनौती

फ्रीडरिक मैर्त्स के नेतृत्व में गठबंधन को 28.5% वोट मिले, जो इस चुनाव में सबसे अधिक हैं। हालांकि, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिससे गठबंधन सरकार बनाना मैर्त्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

मैर्त्स को लंबे समय से एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में देखा जाता रहा है। उनकी पहचान राष्ट्रवादी और कंजरवेटिव मुद्दों को जोर-शोर से उठाने वाले नेता के रूप में होती है। उन्होंने साफ कर दिया है कि AfD के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा, जिससे यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-कौन से दल उनकी सरकार में शामिल होंगे।

क्यों हारे ओलाफ शोल्ज और उनकी पार्टी?

सोशल डेमोक्रेट्स (SPD) को महज 16% वोट मिले, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद उनका सबसे खराब प्रदर्शन है। माना जा रहा है कि इस हार के पीछे आर्थिक विकास में गिरावट, अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या और यूक्रेन युद्ध को लेकर मतदाताओं की नाराजगी प्रमुख कारण रहे।

यूरोप में बदल रही राजनीति की दिशा

इस चुनाव का असर सिर्फ जर्मनी तक सीमित नहीं है। दुनियाभर में दक्षिणपंथी ताकतों का उभार जारी है—अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप, रूस में व्लादिमीर पुतिन, इटली में जॉर्जिया मेलोनी पहले ही सत्ता पर काबिज हैं। अब जर्मनी में भी कंजरवेटिव राजनीति की वापसी हो रही है।

अब आगे क्या?

फ्रीडरिक मैर्त्स की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन को स्थिर रखना और जर्मनी की आर्थिक स्थिति को सुधारना होगी। इसके अलावा, अवैध प्रवासियों और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर भी उन्हें कड़े फैसले लेने होंगे।

जर्मनी में यह चुनाव न केवल एक राजनीतिक बदलाव लाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि देश में दक्षिणपंथी विचारधारा अब मुख्यधारा का हिस्सा बन रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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