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Ganga Saptami: करना है अपने पापों का विनाश, तो जरूर इस पर्व में करे गंगा स्नान, ख़त्म होंगे यह 10 पाप…

नई दिल्ली: वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के सातवें दिन में गंगा सप्तमी मनाते हैं। जो कि इस बार 8 मई को है। इस पर्व पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का अधिक महत्व है। जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है। वहीं, इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलत

 

इस तिथि पर दोबारा प्रकट हुई थी माँ गंगा

पुरी के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि महर्षि जह्नु जब तपस्या कर रहे थे, तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था। इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर अपने बल से गंगा को पी लिया था। लेकिन बाद में अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। इसलिए ये गंगा के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है, जिसके बाद से गंगा का नाम जाह्नवी पड़ा।

श्रीमद्भागवत में गंगा

श्रीमद्भागवत महापुराण मे गंगा की महिमा बताते हुए ज्योतिषाचार्य से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था तो गंगाजल के कुछ बूंद पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान, अन्न और कपड़ों का दान, जप-तप और उपवास किया जाए तो हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं।

 

 

ये 10 पाप खत्म होते हैं गंगा स्नान

वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और अनंत पुण्यफल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं। कायिक, वाचिक और मानसिक। इनके अनुसार किसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्रों में बताई हिंसा करना, पराई स्त्री के पास जाना, यह शारीरिक पाप हैं।वाचिक पाप में कड़वा और झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना और फालतू बातें करना। इनके अलावा दूसरों की चीजों को अन्याय से लेने का विचार करना, किसी का बुरा करने की इच्छा मन में रखना और गलत कामों के लिए जिद करना, यह मानसिक पाप हैं।

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