कवर्धा (संवाददाता)।कबीरधाम जिले का वन विभाग इन दिनों सवालों के घेरे में है। विभाग पर आरोप है कि करोड़ों रुपये के फर्जी बिल लगाकर योजनाओं को कागज़ों में ही पूरा दिखा दिया गया। सड़क निर्माण, जलाशय सौंदर्यीकरण और वन्य प्राणी संरक्षण जैसे गंभीर कामों में भी गड़बड़ी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
जानकारी के अनुसार, विभाग ने पिछले दो वर्षों में कई निर्माण और विकास कार्यों का भुगतान किया, लेकिन मौके पर न तो सड़क बनी, न जलाशय में पानी आया, और न ही वन्य जीवों के संरक्षण से जुड़ा कोई ठोस काम दिखा। हैरानी की बात यह है कि सभी प्रोजेक्ट्स के मेजर बिल पास कर दिए गए — कुछ तो बिना फील्ड विजिट के ही!
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, “कई ठेकेदार और अफसरों की मिलीभगत से फर्जी मस्टर रोल, डुप्लीकेट बिल और नकली सर्टिफिकेट के सहारे भ्रष्टाचार का पूरा नेटवर्क तैयार कर लिया गया है।”
वहीं विभागीय सूत्र बताते हैं कि उच्च अधिकारियों तक कमीशन का खेल पहुंचता है, इसलिए शिकायतें दबा दी जाती हैं। कुछ मामलों में नाम बदलकर एक ही ठेकेदार को कई टेंडर दिए गए, ताकि जांच में पकड़ से बचा जा सके।
अब सवाल यह उठता है कि —
👉 क्या वन विभाग ने जंगल और जानवरों की सुरक्षा के नाम पर करोड़ों की बंदरबांट की?
👉 क्या जिले में उच्च अधिकारियों की निगरानी नाम मात्र की है?
👉 क्या यह घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के मुमकिन है?
जनता अब मांग कर रही है कि पूरे प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू या एसीबी (आर्थिक अपराध शाखा) से करवाई जाए ताकि सच सामने आए और दोषियों पर कार्रवाई हो।
कबीरधाम के लोगों का कहना है कि “जंगल बचाने का वादा करने वाले अब जंगल को ही लूट रहे हैं!”
