G.P. SINGH : जी.पी. सिंह .. एक अफसर, जिसने सिस्टम से लड़कर हासिल की जीत

Date:

G.P. Singh: An officer, who won by fighting the system

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आईपीएस अधिकारी जी.पी. सिंह का नाम हाल ही में सुर्खियों में रहा है। बर्खास्तगी, गिरफ्तारी और चार साल की लंबी लड़ाई के बाद जी.पी. सिंह ने अपनी सेवा में बहाली हासिल कर यह साबित कर दिया कि सत्य और न्याय का रास्ता कठिन जरूर होता है, लेकिन अंततः जीत उसी की होती है।

जून 2021 तक जी.पी. सिंह का कार्यकाल छत्तीसगढ़ पुलिस में एक बेहतरीन अधिकारी के रूप में दर्ज था। उनके कड़े और निष्पक्ष रवैये के लिए उन्हें राज्य का सबसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी माना जाता था। लेकिन इसके बाद घटनाओं ने ऐसा मोड़ लिया कि उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल उठाए गए।

बर्खास्तगी और एफआईआर का सिलसिला –

जुलाई 2021 में जी.पी. सिंह के खिलाफ लगातार तीन एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें अनुपातहीन संपत्ति, राजद्रोह और अन्य आपराधिक मामलों के आरोप लगाए गए। उनके सरकारी निवास पर छापेमारी कर कई दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई। राजद्रोह का आरोप उनके खिलाफ दर्ज की गई दूसरी एफआईआर में जोड़ा गया, जो बेहद गंभीर था।

संपत्ति के मामले में जी.पी. सिंह ने अदालत में साबित किया कि जो संपत्तियां उनके नाम पर बताई जा रही थीं, उनका क्रय 1983 में हुआ था, जब वह नौवीं कक्षा के छात्र थे। इस तर्क के बाद अदालत ने उक्त एफआईआर को खारिज कर दिया।

न्याय की लड़ाई –

जी.पी. सिंह के खिलाफ लगे सभी आरोपों को उन्होंने अदालत में चुनौती दी। यह लड़ाई उन्होंने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से शुरू की, जहां उनके पक्ष में फैसला आया। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके पक्ष में निर्णय दिया।

अदालतों ने सरकार की कार्यवाही को अन्यायपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण ठहराया। एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की, “किसी को परेशान करने की भी सीमा होनी चाहिए।”

सत्य की जीत –

12 दिसंबर 2024 को भारत सरकार ने जी.पी. सिंह को सभी परिणामी लाभों के साथ बहाल कर दिया। यह फैसला न केवल जी.पी. सिंह के लिए बल्कि उन तमाम अधिकारियों के लिए एक मिसाल है, जो अन्याय और राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार होते हैं।

जी.पी. सिंह: कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी का सफर –

1994 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस जी.पी. सिंह ने बस्तर, महासमुंद और राजनांदगांव जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में अपनी सेवा दी। उनकी नेतृत्व क्षमता और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सराहनीय सेवा पदक और वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) के मुखिया रहते हुए उन्होंने बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच की। इस जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जुड़े संदिग्ध एंट्रीज सामने आईं। ऐसा माना जाता है कि इन खुलासों के कारण जी.पी. सिंह पर कार्रवाई की गई।

पुलिस विभाग में उत्साह –

जी.पी. सिंह की बहाली से छत्तीसगढ़ पुलिस में उत्साह का माहौल है। उनकी वापसी को बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब देखना यह है कि उनकी पदोन्नति प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है और क्या वह अपने बैचमेट्स को पीछे छोड़कर डीजी के पद तक पहुंचते हैं।

मिसाल बनी लड़ाई –

जी.पी. सिंह की इस लंबी और कठिन लड़ाई ने यह साबित किया है कि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का मूल्य कभी व्यर्थ नहीं जाता। उन्होंने न केवल न्यायालय से जीत हासिल की, बल्कि उन सभी अधिकारियों को प्रेरणा दी जो अन्याय और राजनीतिक दबाव का सामना करते हैं। उनकी वापसी छत्तीसगढ़ पुलिस में नई ऊर्जा भरने के साथ-साथ प्रशासन में निष्पक्षता की उम्मीद जगाती है।

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

#Crime Updates

More like this
Related

Raipur Breaking: महाराजबंध तालाब के पास मिली  सड़ी-गली लाश,  इलाके में सनसनी

Raipur Breaking: महाराजबंध तालाब के पास प्रोफेसर कॉलोनी क्षेत्र...

दिल्ली में डीयू छात्रा पर एसिड हमला, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती

नई दिल्ली। दिल्ली में रविवार को 20 वर्षीय डीयू...

CG NEWS: बोरझरा की फैक्ट्री में श्रमिक की संदिग्ध मौत, पसरा मातम

CG NEWS: धरसीवां। राजधानी रायपुर के उरला औद्योगिक क्षेत्र...