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मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से हो रहा लाभ, मिला आय का नया मार्ग, ग्रामीण और स्व सहायता समूह की महिलाएं कमा रही लाखों रुपये

रायपुर। छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय का एक अहम् हिस्सा माना जाता है। यह आय का काफी अच्छा माधयम माना जाता है। छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता मतस्य पालन करती है। जिसके लिए अब राज्य सरकार की ओर से बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है। इसके अलावा नई नई तकनीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों 40 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की मदद से मछली पालन करने वालों को भी कृषक की उपाधि मिली है। इसके माध्यम से अब मछली पालन करने वालों को भी लोन और अन्य सुविधाएं मिल रही है। इससे न सिर्फ मछुवारों को बल्कि स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी बेहतर सुधार हुआ। इसे लेकर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विधानसभा की बैठक के दौरान कहा कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों के हित में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है।

दरअसल छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय का एक अहम् हिस्सा माना जाता है। यह आय का काफी अच्छा माधयम माना जाता है। छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता मतस्य पालन करती है। जिसके लिए अब राज्य सरकार की ओर से बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है। इसके तहत छत्तीसगढ़ में मत्स्यपालन करने वाले किसानों को अब सहकारी विभाग से शून्य प्रतिशत ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। वहीं, अब किसान मछली पालन के लिए किसान किसी भी बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बना सकते हैं। इसके अलावा नई नई तकनीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों 40 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है।

10 महीने पहले शुरू किया था मत्स्य पालन

वहीं, इस योजना से किसानों के साथ- साथ स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है। सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत कुंवरपुर में एकता स्व सहायता समूह की अध्यक्ष मानकुंवर पैकरा ने इस मामले में जानकरी देते हुए बताया कि, केज कल्चर विधि से मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिला, जिसके माध्यम से उन्होंने तिलापिया और पंगास मछली का पालन शुरू किया। इसके माध्यम से उनके समूह ने लगभग 10 माह पहले मछली पालन करना शुरू किया था। अब तक लगभग 17 लाख रुपये की मछली बेच चुके हैं। इससे उनके स्व-सहायता समूह की सभी महिलाओं की आर्थिक स्थति में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि, इस योजना से उन्हें 18 लाख का अनुदान दिया गया था। इसके पश्चात उनके कार्य को देखते हुए कलेक्टर कुंदन कुमार ने डीएमएफ से उन्हें 12 लाख का अनुदान प्रदान किया। इन अनुदान से उन्होंने कुंवरपुर जलाशय में केज कल्चर मछली पालन का कार्य किया। साथ ही उन्होंने कहा कि, सरकार की कल्याणकारी योजना से उन्हें रोजगार का जरिया मिला, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया।

सरहापानी के गंगा स्व सहायता समूह को 10 वर्षीय पट्टे पर तालाब आबंटन

इसी कड़ी में मत्स्य विभाग द्वारा दुलदुला विकासखण्ड के ग्राम सरहापानी के गंगा स्व सहायता समूह को वर्ष 2019-20 में ग्रामीण तालाब जलक्षेत्र 0.500 पर 10 वर्षीय पट्टे पर तालाब आबंटन किया गया है। जिसमें कुल 12 सदस्यों के द्वारा मत्स्य पालन किया जा रहा है। समूह को विभाग द्वारा 04 नग महाजाल और 50 प्रतिशत अनुदान पर मछली बीज भी प्रदाय किया गया है। समूह के द्वारा प्रतिवर्ष 1500 कि.ग्रा. रोहू, कतला, एवं मृगल मछली उत्पादन किया जा रहा है। जिसके विक्रय से समूह को 2 से 3 लाख लगभग प्रतिवर्ष फायदा हो रहा है। समूह द्वारा पिछले 3 वर्षो से मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। अब समूह के सदस्य अच्छी आमदनी पाकर परिवार के साथ सुख-सुविधा के साथ जीवन यापन कर रहें है। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है।

डौंडी विकासखण्ड के ग्रामीणों ने किया सीएम का धन्यवाद

वहीं, मत्स्य पालक राधिका बाई बताती हैं कि, डौंडी विकासखण्ड के तालाब और जलाशयों में मछली पालन किया जा रहा है, जो कि हजारों लोगों की आजीविका का साधन बना हुआ है। कृषि के साथ-साथ तालाब और जलाशयों में बड़ी संख्या में मछली पालन हो रहा है। मछली बीज उत्पादन एवं संचयन के लिए हैचरी हैं। शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों से मत्स्य पालकों को रियायती शासकीय दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराई जाती है। जिससे वे सब बेहद खुश है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धन्यवाद करते हैं। वे सभी मुख्यमंत्री के आभारी हैं।

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