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महिला वोटरों को जोड़ने में दो बार फेल, क्या बिहार में पास हो पाएगी प्रियंका गांधी?

पटना: बिहार में महिला वोटर निर्णायक हैं। इस बड़े मतदाता समूह को साधने की होड़ में अब कांग्रेस भी शामिल हो गयी है। अभी तक राहुल गांधी ही बिहार में सक्रिय थे। लेकिन अब प्रियंका गांधी भी यहां पहुंच गयी हैं। क्या वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी बिहार की महिला वोटरों को महागठबंधन के पक्ष में मोड़ पाएंगी? वोट अधिकार यात्रा के जरिये राहुल गांधी के नेतृत्व में महागठबंधन चुनावी अभियान शुरू कर चुका है। हालांकि अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई, लेकिन राहुल गांधी ने टेस्ट मैच शुरू होने से बहुत पहले ही ग्राउंड प्रैक्टिस शुरू कर दी है। प्रियंका गांधी के बिहार आगमन और उसके संभावित प्रभाव का आंकलन करने से पहले गुजरे हुए दो चुनावी परिदृश्यों पर नजर डालते हैं।

2 मार्च 2021- प्रियंका गांधी असम विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए गुवाहाटी आयीं। महिला वोटरों को रिझाने के लिए चाय चायबगान पहुंची। सिर से परम्परागत टोकरी लटका कर चाय की पत्तियां तोड़ी। वहां काम करने वाली महिलाओं से घुली-मिलीं। बातचीत की। तस्वीर बहुत अच्छी थी। देश- विदेश में इसने सुर्खियां बटोरीं। लेकिन नतीजा क्या रहा? चाय बगान से जुड़े मजदूरों को वहां चाय जनजाति भी कहा जाता है। ये असम की 40 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2021 के चुनाव में इन 40 में से 33 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। असम में कांग्रेस, बिहार या उत्तर प्रदेश की तुलना में बहुत ज्यादा मजबूत है। फिर भी उसे कुल 126 में से केवल 29 सीटें ही मिलीं। भाजपा के खाते में 60 गयीं।

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