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SIR विवाद पर चुनाव आयोग ने देश के नागरिकों से पूछे पांच सवाल, पढ़े पूरी खबर

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के आरोपों के घिरे चुनाव आयोग ने देश के नागरिकों से पांच अहम सवाल पूछे है और कहा कि बताए मतदाता सूची की सघन जांच होनी चाहिए या नहीं। मृतकों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं। साथ ही मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं।

आयोग ने जनता से यह सवाल ऐसे समय पूछे है, जब राहुल गांधी सहित विपक्ष के दूसरे नेताओं की ओर से बिहार में एसआइआर के दौरान लोगों के गलत तरीके से नाम काटे जाने के आरोप लगाए जा रहे है। वैसे भी आयोग अब तक मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा चुका है।

किनके नाम हैं शामिल?
हालांकि इनमें अधिकांश मृत, विस्थापित हो चुके और दो जगहों से नाम दर्ज कराने वाले मतदाताओं के नाम शामिल है। आयोग के मुताबिक इन पांच सवालों के जरिए वह जनता के बीच मतदाताओं के गलत तरीके से नाम कटाने को लेकर फैलाए जा भ्रम को दूर करना चाहती है।

यही वजह है कि आयोग ने मतदाता सूची से जिन पांच आधारों पर लोगों के नाम काटे है, उन्हें लेकर सवाल भी पूछे है। आयोग जारी अपने बयान में कहा है कि यदि इन सवालों के उत्तर हां में है, तो फिर आयोग को मतदाता सूची को शुद्ध बनाने के इस कठिन कार्य को पूरा करने में सहयोग दे और उसे सफल बनाए।

आयोग ने जनता से पूछे ये पांच अहम सवाल

पहला सवाल- मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए कि नहीं?

दूसरा सवाल- मरे हुए लोगों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं?

तीसरा सवाल- जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में दो या अधिक जगह पर है, उनके नाम एक ही जगह पर होने चाहिए कि नहीं?

चौथा सवाल- जो लोग दूसरी जगह जा बसे है, उनके नाम हटाए चाहिए कि नहीं?

पांचवां सवाल- विदेशियों के नाम हटाए चाहिए कि नहीं?

चुनाव आयोग चलाएगा सच बताने का अभियान

मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर राहुल गांधी सहित विपक्षी दलों की ओर से चुनाव आयोग पर जिस तरह से आरोप लगाए जा रहे है, उससे निपटने के लिए आयोग जल्द ही देश भर में मतदाताओं के बीच जाकर सच बताने का भी अभियान शुरू करेगा।

आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि इस अभियान का स्वरूप कैसा होगा, यह अभी साफ नहीं है।आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक मतदाता सूची को लेकर जिस तरह से राजनीतिक दलों की ओर से लगातार झूठ और भ्रम फैलाया जा रहा है, उसकी सच्चाई मतदाताओं तक पहुंचाना भी जरूरी है।

लोगों के बीच जाएंगे अधिकारी
वैसे तो आयोग ने इंटरनेट मीडिया पर ऐसे आरोपों का जवाब तत्परता से देना शुरू कर दिया है। ऐसे आरोपों पर मिसलिडिंग का ठप्पा लगातार उसकी सच्चाई बताई जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि इंटरनेट मीडिया पर बताई जा रही यह सच्चाई एक बड़े वर्ग तक नहीं पहुंच पाती है।

ऐसे में इसे बताने के लिए उनके बीच जाना होगा। आयोग ने इसे लेकर मतदाताओं के बीच जागरूकता अभियान चलाने वाली स्वीप (सिस्टमेटिक वोटर एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टीसिपेशन) शाखा को तैयारी करने के निर्देश है। संभव है कि इसकी शुरूआत बिहार से होगी।

 

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